*भड़कीले वस्त्र पहनकर मंदिर जी में प्रवेश न करें* – मुनि श्री
( पर्युषण पर्व उत्तम संयम धर्म प्रातः)
गौरझामर दिनांक 19 सितंबर 2018

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य
मुनि श्री विमल सागर जी
मुनि श्री अनंत सागर जी
मुनि श्री धर्म सागर जी
मुनि श्री अचल सागर जी
मुनि श्री अतुल सागर जी
मुनि श्री भाव सागर जी

गौरझामर जिला सागर मध्यप्रदेश में विराजमान है। प्रश्नोत्तर रत्न मालिका ग्रंथ की व्याख्या करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि आज नौकरी को महत्व दिया जा रहा है। जब की नौकरी पराश्रित है अपना व्यवसाय करो और दूसरों को नौकरी दो। सिंह की दौड़ में दौड़ लगाओगे और हार भी जाओगे तो भी सिंह कहलाओगे। आप को अपने आप पर भरोसा नहीं है आपकी अपनी सोच आपको ऊपर नहीं उठने देती। बचपन में बालिकाएं माता-पिता के द्वारा रक्षित होती है विवाह के बाद पति ससुराल वालों के द्वारा रक्षित होती हैं और वृद्ध अवस्था में स्त्री की रक्षा पुत्र के द्वारा होती है। वर्तमान में बालिकाओं की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। हम परिग्रह को सुख मान रहे हैं कोई आप को कष्ट देता है तो दुख होता है ऐसे ही अन्य जीवो को भी आपके द्वारा कष्ट होता है। किसी का एक्सीडेंट होता है तो कैसा तड़पता है। 4 हाथ जमीन देख कर चलना चाहिए। जल छानकर पीना चाहिए क्योंकि वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है 36450 जीव होते हैं एक बूंद जल में जैन दर्शन के अनुसार हर बूंद में असंख्यात जीव होते हैं। जब वस्तु दान करते हैं उसमें किसी प्रकार की आकांक्षा नहीं होनी चाहिए दान देने के बाद राशि नहीं देते हैं तो महा दोष कहा गया है ऐसे लोगों की दुर्गति होती है अगले भव में दर-दर की ठोकरें खाता है। घर को बेचना पड़े तो भी बेच देना लेकिन दान का पैसा देना। इंदौर के सेठ ने घाटा होने पर दान दिया तो घाटा फायदे में परिवर्तित हो गया। जो भगवान को समझ जाएगा तो सब कुछ अच्छा होगा
जो हमें पाप के कार्य मे लगाए ऐसा मित्र नहीं होता हैं। धर्म और धर्मात्मा ही हमारे सच्चे मित्र हैं। इस कृति में मुनि श्री प्रणम्य सागर जी ने महाराज ने बहुत अच्छा विवेचन किया है आज पश्चिमी संस्कृति में मोबाइल, टीवी के द्वारा ऐसी सामग्री परोसी जा रही है जो घातक है। लोगों ने हाथ उठाकर मोबाइल का गलत कार्य में उपयोग का नियम लिया। आज लड़के लड़कियां ऐसे वस्त्र पहन रहे हैं जो फटे हैं ऐसी कटिंग करवा रहे हैं जो आज अच्छी नहीं लगती है। वास्तु के हिसाब से फटे कपड़े पहनना दरिद्रता का प्रतीक है। प्री वेडिंग नहीं दिखाई जाए। मंदिरों में भड़कीले वस्त्र पहनकर नहीं आवे। शादी की सालगिरह में वरमाला, बारात आदि का कार्यक्रम ना हो। मृत्यु भोज पर प्रतिबंध हो। आज मुनि श्री ने समाज के लोगों को अनेक नियम दिलाए।

मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज ने भक्तांमर स्त्रोत की व्याख्या की।

मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज ने ध्यान करवाया शिविरार्थियों को।

24 सितंबर को विशाल शोभायात्रा श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर से प्रारंभ होकर नगर में भ्रमण करेगी इसमें ऐरावत हाथी, घोड़ा, आचार्य श्री विद्यासागर जी दिव्यघोष रहेगे। देव शास्त्र गुरु रहेंगे शिविरार्थी चलेंगे मुनि श्री भी चलेंगे पुरुष, महिला मंडल, बालिका, युवा रहेंगे यह ऐतिहासिक महायात्रा होगी जो गौरझामर के इतिहास में प्रथम बार होगी गुरुभक्त परिवार के सदस्यों ने विशेष पूजन की।

प्रेषक
हिमांशु जैन गौरझामर 8819955199
संयोग जगाती
7024092007
लकी चौधरी
9806909015