*धर्म की रक्षा में मरण भी सार्थक होता है* – मुनि श्री
( पर्युषण पर्व उत्तम शौच धर्म)
गौरझामर दिनांक 17 सितंबर 2018

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य
मुनि श्री विमल सागर जी
मुनि श्री अनंत सागर जी
मुनि श्री धर्म सागर जी
मुनि श्री अचल सागर जी
मुनि श्री अतुल सागर जी
मुनि श्री भाव सागर जी

गौरझामर जिला सागर मध्यप्रदेश में विराजमान है प्रश्नोत्तर रत्न मालिका की कक्षा में ग्रंथ की व्याख्या करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि कुछ लोग अभी सो रहे होंगे मरण से सभी संसारी प्राणियों को भय बना रहता है प्रसिद्धि होती है। तो खलों के माध्यम से होती है। कमठ ने उपसर्ग किया तो श्री पारस नाथ जी की प्रसिद्धि हुई। जो एक बार सल्लेखना धारण करता है वह मृत्यु को जीत लेता है एक बार धर्म की रक्षा करते हुए एक बार मरण कर लोगे तो कल्याण होगा। धर्मात्माओं की रक्षा करते हुए मरण जो करता है तो पुराण ग्रंथों में उल्लेख हो जाता है। मरने का डर यदि बना रहेगा तो जी नहीं पाओगे। वही शूरवीर होता है जो शील के वाणों से नहीं भेदे जाते हैं। चोर भी सुधर जाता है धर्म के प्रभाव से। परमार्थ के लिए दान मांगना गलत नहीं है। एक व्यक्ति ने मंदिर बनवाया और सीढ़ी के लिए सभी से दान लिया।

मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा की सरलता आना जरूरी है।

मुनि श्री भाव सागर जी ने प्रातः काल शिविरार्थियों को ध्यान करवाया सम्मेद शिखरजी का और बताया कि णमोकार मंत्र को विश्व शांति मंत्र की उपाधि मिली है सन 1997 में जिनेवा में सम्मेलन में मिली थी। ध्यान, योग, प्राणायाम, हीलिंग, रेकी यह चिकित्सा पद्धति हमारे पूर्वजों की देन है, जब बुखार आए या सर्दी हो तो आप दवा लेते हैं यह रोग को दवा देता हैं। बाद में कैंसर आदि खतरनाक रोग होते हैं। बुखार, सर्दी में 3 दिन तक यदि दवा नहीं ली तो निकल जाएगी। विकृतियों को दबाए नहीं निकालें हमारे शरीर में 5 करोड़ 68 लाख 99 हजार 584 रोग होते हैं। ध्यान से पॉजिटिव पावर मिलता है इमोशनल केयर (भावनिक) उपचार के मंत्रोे के माध्यम से चिकित्सा होती है।

प्रेषक
हिमांशु जैन गौरझामर 8819955199
संयोग जगाती
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