*बड़ी बड़ी शादियों के नाम पर जो अभक्ष्य परोसते है………क्या उन के नाम में जैन शब्द शोभता है……….??????*
*क्या हम ये निर्णय नहीं कर सकते की हम जैन है और जैन विधि से ही भोजन बनवायेंगे……!!*
*अनेकों जीवो की विराधना कर के अपने को गौरान्वित समझते है………!
भाई यह जैन कुल आज मिला है पुन: मिले ऐसा संभव नहीं इसलिए आराधना के मार्ग में हम लगे।*

*कुछ निर्णय हम ले सकते है…..*

*1 हम जैन है समाज का रात्रिभोजन नहीं देंगे और ना ही समाज में रात्रि भोजन करेंगे।*

*2 हम जैन है कंद मूल गाजर मुली आलू आदि को भोजन में उपयोग नहीं लेंगे।*

*3 समाज की रसोई में दही का उपयोग नहीं करेंगे द्विदल का भी ध्यान रखेंगे।*

*4 कंडे से बनी बाटी का प्रयोग नहीं करेंगे ना ही हम बनायेंगे।*

*5 दही बड़ा द्विदल में आता है इसका ध्यान रखेंगे।*

*6 भोजन में कम पकवान बने तो ज्यादा शुद्धता रह सकती है…….!!!*

*विचारना……….!!!*
*हम भगवान महावीर की संतान है हमारे गुरु निर्ग्रन्थ मुनिराज है, हमारे इन कार्यो से कही हमारा धर्म और कुल तो बदनाम नहीं हो रहा है।*
*अनंत जीवो की विराधना का फल क्या होगा यह भी विचारने योग्य है……!!!!*