*नाम के लिए नहीं करें कार्य* – मुनि श्री
( पर्युषण पर्व उत्तम शौच धर्म) *दोपहर प्रवचन*
गौरझामर दिनांक 17 सितंबर 2018

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य
मुनि श्री विमल सागर जी
मुनि श्री अनंत सागर जी
मुनि श्री धर्म सागर जी
मुनि श्री अचल सागर जी
मुनि श्री अतुल सागर जी
मुनि श्री भाव सागर जी

गौरझामर जिला सागर मध्यप्रदेश में विराजमान है। मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि लोभ का त्याग ही शौच धर्म है आज *स्वच्छता अभियान* हमें मंदिर में चलाने की जरूरत है हम सूतक लगने पर मंदिर के बाहर ही सफाई करें | जन्म जरा मृत्यु का विनाश करने वाले वैद्य तो वास्तविक शौच धर्म का पालन करने वाले मुनिराज होते हैं! हमें कोई भी कार्य करते समय पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि प्रसिद्धि और विवाद एक दूसरे के पूरक है! पहले लोग कार्य का विरोध करते हैं फिर स्वीकार करते हैं बाद में तारीफ करते हैं! सिकंदर ने जब साधु की सेवा की तो साधु ने एक प्रक्रिया के माध्यम से समझाया कि तृष्णा की खाई भर नहीं सकती! निरंतर नदियों का जल गिरते रहने पर भी समुद्र कभी नहीं भरता अनेक बार खाते रहने पर भी उदर का गर्त कभी नहीं भरता हजारों मृत शरीरों को भस्म करके भी श्मशान नहीं भरता तृष्णा का गड्ढा कभी भरा ही नहीं जा सकता! आज प्रत्येक व्यक्ति नाम के लिए कार्य कर रहा है जबकि हम कार्य ऐसा करें जिससे नाम अपने आप हो आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपने नाम से कोई तीर्थ या संस्था नहीं बनाई इसी कारण उनका नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया और स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया !मनुष्य पेट नहीं पेटी भरने की सोचता है आचार्य श्री का आशीर्वाद मिला तो श्रावक संस्कार शिविर में संख्या बढ़ गई बड़े बाबा और छोटे बाबा का आशीर्वाद होता है तो सब कार्य हो जाते हैं *आधा भोजन दुगना पानी तिगना श्रम चौगुनी हंसी वर्ष सवा सौ जीव* यह कहावत है !अपने जीवन में शौच धर्म आए ऐसी भावना है

मुनि श्री अतुल सागर जी ने कहा कि तृष्णा की खाई खूब भरी पर रिक्त रही पर रिक्त रही कितनी भी क्रीम पाउडर लगा लो वह भी शरीर के संपर्क से खराब हो जाती है अच्छा अच्छा भोजन करने पर भी वह दुर्गंध के रूप में परिणत हो जाता है यह शरीर मेली थैली है! जो भी व्यसन करता है पहले अपने पैसे से नहीं करता लोभ में आकर के करता है शरीर किसका खराब हो रहा है यह ध्यान नहीं रखता है लोभ बुरी चीज होती है! नोट कागज होते हैं उससे कई प्रकार के झगड़े तक हो जाते हैं आज व्यक्ति कैरियर बनाने के चक्कर में लगा रहता है !आपने पुरुषार्थ किया घर छोड़ा यह अच्छा कार्य है यह सबसे बड़े होशियार व्यक्ति हैं जिन्होंने दस दिन यहाँ रहने का संकल्प किया आचार्य श्री ने कहा है कि व्यक्ति संत बने या ना बने संतोषी अवश्य बनता है !आपका आत्मबल जागृत हो जाता है आपको विश्वास नहीं था कि हम भी ऐसा कर सकते हैं जब कभी बिक्री होती है तो आप दुखी होते हैं जो आया है उसके प्राप्त होने से प्रसन्न नहीं होते हैं लेकिन जो नहीं आता है उसके लिए दुखी होते हैं!

चित्र अनावरण उपवास करने वाले शिविरार्थियों ने किया और शास्त्र अर्पण उपवास करने वाली बालिकाओं ने किया डॉक्टर ब्रह्मचारिणी रेखा दीदी पूर्व डीएसपी ने श्रीफल अर्पण किया नरेंद्र बजाज ने थर्माकोल का मंदिर का मॉडल बनाया जो प्रशंसनीय रहा

*प्रेषक*
हिमांशु जैन गौरझामर 8819955199
संयोग जगाती
7024092007
लकी चौधरी
9806909015