*धर्म की बागडोर जल्द युवाओं के हाथों में होगी, वक्त रहते सुधरने की जरूरत आचार्य श्री*

धर्म की बागडोर जल्द युवाओं के हाथों में होगी, वक्त रहते सुधरने की जरूरत आचार्य श्री

पंच कल्याणक|शांति नगर के दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा-
| रायपुर
भारत की ज्यादातर आबादी युवा है। इसलिए इसे युवा देश कहा जाता है। पुरातन काल से अब तक धार्मिक व्यवस्था अनुभवी हो चुके लोगों ने संभाली। हमारे देश में जल्द ही वह समय आएगा जब धर्म की बागडोर युवाओं के हाथों में होगा। वर्तमान हालातों को देखकर चिंता होती है। आज युवा धर्म और सत्य से परे बुराइयों में रहना पसंद करते हैं। वक्त रहते सुधर गए तो एक बार फिर स्वर्णिम युग की शुरूआत होगी। यह विचार मंगलवार को लाभांडी स्थित शांति नगर के दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने रखी। सोमवार को यहां पंच कल्याणक महोत्सव की शुरुआत हुई। आगे विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि वस्तु नहीं है पर इंसान वादे पर वादे करता चला जाता है। ????????? *हमने सुना है कि अब जैन समाज के लोग भी सट्टाबाजार में धन लगाने लगे हैं। पढ़े-लिखे डॉक्टर-इंजीनियर भी इस बुराई के जाल में फंस चुके हैं। पैसा कमाने का लालच करने से पहले यह जान लें कि इसमें सिर्फ और सिर्फ आपका घाटा ही होगा। धन से जाएंगे सो अगल, बुद्धि से भी हाथ धोना पड़ेगा* गर्भ कल्याणक के मौके पर सभी लोग इस बुराई को त्यागने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि करने योग्य काम को महत्व दो।. *कभी भी व्यापार को वादा नहीं करना। भले ही उसे सरकार क्यों न चलाए। ध्यान रहे कि सरकार राजस्व के लिए चलती है*. ??????????? *चक्रवर्ती का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जो इस संसार में शरीर, भोग और उपभोग में मस्त रहता है वह नरक गति का ही बंध करता हैं। दो चक्रवर्ती अपार वैभव धन होते हुए भी शारीरिक भागों में लिप्त रहे और अंत में उन्हें नरक की प्राप्ति हुई*
संयम में जीवन और असंयम में मौत
*उन्होंने आगे कहा कि रत्नकरडंक श्रावकाचार में कहा गया है कि जो शरण भूत हैं, उनकी शरण लो। जो पंच परमेष्ठी की शरण लेगा उसी का संसार विनष्ट होता है।* संयम जीवन है और असंयम में मौत है। कष्टों से कभी घबराना नहीं। स्वास्थ्य उसी बच्चे का अच्छा रहता है जो 24 घंटे में एक बार रोता है। जो बच्चा नहीं रोता उसकी मां दिन में एक बार उसे चिकौटी काटकर रुलाती है। विषय भले ही अच्छे लगते हों पर कभी उस ओर रूख नहीं करना। जो विषयों में रमा रहता हैं, उसे अकाल का सामना करना पड़ता है।
मंगल दीपों की आरती के बाद जिनवाणी वाचन
शाम को मंदिर में मंगल दीपों से संगीतमयी आरती की गई। इसके बाद पंडित श्रेयांश ने मां जिनवाणी का वाचन किया। इस दौरान नाभिराय राजा का दरबार भी लगा। इसमें अष्ट कुमारियों ने भक्ति भाव से माता की सेवा की।