20-06-2020

सर्वश्रेष्ठ साधक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 53 वा मुनि दीक्षा दिवस 25 जून 2020 दिन गुरुवार को पूरे विश्व में मनाया जाएगा आप आचार्य श्री की पूजन ,आरती ,सांस्कृतिक कार्यक्रम, वृक्षारोपण , भजन,गरीबों को औषधि, वस्त्र, भोजन का दान करें और मांगलिक अनुष्ठान संपन्न करें विशेष निवेदन यह संदेश पूरे विश्व के पूरे सभी जैनों को पहुंचाएं|

October 2019 सर्वश्रेष्ठ साधक पूज्य आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महाराज के अज्ञानुवर्ती शिष्य
मुनि श्री विमल सागर जी महाराज,मुनिश्री अनंत सागर जी महाराज,मुनिश्री धर्म सागर जी महाराज,मुनिश्री अचलसागर जी महाराज, मुनि श्री भावसागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में गुरु गुणगान महोत्सव मनाया गया
प्रातः काल अभिषेक , शांतिधारा, पूजन ,आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी की महापूजन विशेष द्रव्यों से हुई,चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र अर्पण,दोपहर में विशाल जलूस पूरे नगर में निकाला गया नगर में मिष्ठान वितरण हुआ मंगलाचरण, मुनि श्री के मंगल प्रवचन, चातुर्मास सेवा सहयोग सम्मान हुआ, शाम को आचार्य श्री विद्यासागर जी पर आधारित प्रश्न मंच मुनि श्री द्वारा हुआ फिर। रात्रि मैं महा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुये। इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी कहा कि भावना अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। शरद पूर्णिमा पर दुनिया गुणगान करती है जो पुण्य शाली होता है। जन्म के पूर्व में ही मां उसके बारे में भावना भाने लगती है। ऐसे पुत्र का सानिध्य पाकर जन जन कल्याण करता है। तीन संताने तो दिगंबर साधु के रूप में आज धर्म की प्रभावना कर रही है। संयम धारण करने के लिए विशेष पुण्य की आवश्यकता होती है। आज हमारा परम सौभाग्य है की ऐसे बालक का जन्म हुआ था जिसकी यश कीर्ति पूरी दुनिया में फैल रही है। लोग कहते हैं कि आचार्य श्री के चरण छूने के बाद लगता है कि पूरी संपदा दान कर दें। उनका एक-एक शब्द महत्वपूर्ण होता है। गुरुदेव के चरणों में प्रतिदिन शरद पूर्णिमा होती है। गुरुदेव का प्रभाव 24 घंटे दिखता है। आचार्य श्री अद्वितीय चांद है जिसमें कोई दाग नहीं है।मेरी एक संतान तो मोक्ष मार्ग पर बढ़े। माँ ऐसे दाता को उत्पन्न करें जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में फैल जाए। आप अपनी संतान को भगवान भी बना सकते हैं और शैतान भी यह आपके हाथ में है। धर्म का प्रवाह कैसे बढ़ेगा। आगे आपकी संतान देश, धर्म, राष्ट्र की सेवा कैसे करेगी। अंत में कोई पानी देने वाले नहीं रहता है। इसलिए हम हम संतान को अच्छे संस्कार दें। मुनि श्री अनंत सागर जी कहा कि दुनिया में अनेकों लोग हैं जो जन्म लेते हैं लेकिन आज ऐसे बालक का जन्म हुआ था जो कि आगे जन्म मरण का चक्र समाप्त करेगा।अनेक व्यसन में लगे रहने वाले भी गुरुदेव के चरणों में समर्पित हो गए। शरद पूर्णिमा के चांद की आभा अलग ही होती है। गुरुदेव अलग ही हैं। ऐसे चारित्र के साधक महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी थे। एक प्रसिद्ध योगाचार्य ने कहा था कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज निर्विवाद संत हैं। गुरुदेव की चर्या अनूठी चर्या है। गृहस्थ तो गुरुदेव को चाहते ही हैं उनके शिष्य भी उनको बहुत चाहते हैं। आचार्य श्री अनुशासन में चर्या में कड़क है। गुरुदेव के बारे में विषय बहुत है लेकिन समय कम है। बड़े-बड़े विद्वान भी आचार्य श्री की चर्या देखने के लिए लालायित रहते हैं। आचार्य श्री के पास बिना बुलाए भीड़ इकटठी हो जाती है। निर्दोष चर्या से सब कुछ अच्छा रहता होता है।
मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि समय की कीमत समझो, मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी की चर्या अनूठी है। उनके ऊपर 500 से अधिक पूजा लिखी गई हैं जो वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इस बार दीपावली पर सिर्फ भवन आदि की सफाई नहीं करना है हृदय और मन की भी सफाई करना है
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आशीष जैन ( टी.वी न्यूज़ रिपोर्टर ) 9425467816
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