आलेख

ऐंसे हैं हमारे आचार्य श्री विद्यासागर जी ऋषिराज

  • आदेश नहीं देते-केवल उपदेश देते हैं।
  • कम बोलते हैं-सुनते ज्यादा है।
  • दिन में शयन नहीं करते।
  • मीठा ग्रहण नहीं करते-पर मीठा बोलते हैं।
  • दिन में एक बार ही खड़े होकर भोजन ग्रहण करते हैं।
  • हरी सब्जी ग्रहण नहीं करते।
  • फल ग्रहण नहीं करते।
  • नमक ग्रहण नहीं करते।
  • दूध ग्रहण नहीं करते।
  • खारक को छोड़कर अन्य डॉयफ्रूट ग्रहण नहीं करते।
  • चटाई पर नहीं सोते।
  • केवल लकड़ी के पाटा पर सोते हैं।
  • पूरी रात करवट नहीं लेते।
  • केवल अधिकतम 5 घण्टे ही निद्रा लेते हैं।
  • कभी थूंकते नहीं।
  • कभी सुंगन्ध हो या कहीं दुर्गंध हो मुहं नहीं सिकोड़ते।
  • कार्यक़म का चातुर्मास का वचन नहीं देते।
  • विहार की जानकारी नहीं देते।
  • आयोजन की जानकारी नहीं देते।
  • शाम की सामयिक से सुबह तक स्थाई एक लकड़ी के पाटे पर हो जाते हैं गमन नहीं करते।
  • अपने नियम और आवयश्क के पालन करने में सजग रहते हैं कभी लंबित नहीं करते।
  • असंयमी व्यक्ति को कुछ रखने या उठाने का आदेश नहीं देते।
  • स्वयं के लिए जरूरी वस्तुओं पेन कापी पुस्तक आदि की मांग नहीं करते।
  • व्यक्तियों द्वारा शास्त्र प्रदान करने पर पहले नमस्कार करते हैं।
  • जब कोई गुरु जी से नियम लेता है तो स्वयं भी कायोत्सर्ग करते हैं।
  • कभी किसी की निंदा आलोचना नहीं करते।
  • कभी किसी राजनीतिक बात को नहीं करते।
  • कभी किसी पर क्रोध नहीं करते।
  • अपने प्रवचन में किसी पर कभी कटाक्ष नहीं करते।
  • देश और संस्कृति की रक्षा के लिए सदैव चिंतित रहते है और प्रशासनिक लोगों को सदैव इस विषय में उपदेश देते हैं।
  • किसी वस्तु का संग्रह नहीं करते।
  • बड़े से बड़े कार्य आपके आशीर्वाद से हो जाते हैं मगर आप स्वयं कर्ताबुद्धि नहीं रखते।
  • किसी भी क्षेत्र या स्थान पर स्वामित्वभाव नहीं रखते।
  • शिथलचार का समर्थन नहीं करते।
  • अपना एक मिनिट भी अपव्यय नहीं करते।
  • किसी कार्यक्रम की रूपरेखा नहीं बनाते।
  • जीवन भर अस्पताल-वाहन-या शल्य चिकित्सा का त्याग।
  • एक बार किसी से बात कर लें तो उसे कभी नहीं भूलते।
  • किसी स्थान को कभी नहीं भूलते।
  • ख्याति-निज पूजा-लाभ-सत्कार-आदि से दूर रहते हैं
  • सर्वशक्तिमान होकर भी स्वयं को लघु ही समझते हैं और बोलते हैं।
  • 1 माह में हर हाल में केशलंच करते हैं (अर्थात सिर दाड़ी-मूंछ के बालों को उखाड़कर फेंकते हैं कैंची या ब्लेड का जैन सन्त उपयोग नहीं करते)
  • सदा अपने गुरु जी के प्रति स्वयं कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
  • गुरु जी तो गुणों के सागर हैं लिखना तो सम्भव ही नहीं । ये तो बस उनकी दिनचर्या में सामने देखे तो लिख दिए। और उनके आंतरिक गुणों को हम सभी महसूस करते हैं जो अंनत हैं। इसलिए तो जमाना कहता है विद्यासागर जी जैसा-सन्त नही है दूजा उन महायोगी के चरणों में शत शत नमोस्तु।
🚩११ प्रतिमा संस्कार आरोपण(भिक्खु दीक्खा)🚩

*🌿संक्रमण की रोकथाम के लिए अनुभवगम्य नैसर्गिक उपचार**🌿

🌿यह पोस्ट केवल हमारे पूज्य साधुओं, आर्यिका माताजी, क्षुल्लक जी, एलक जी, प्रतिमाधारी त्यागी व्रतियों के लिए प्रेषित कर रहे हैं जिनका एलोपैथी दवाई लेने का एवं अस्पताल में जाने का त्याग होता है।
कृपया श्रावक लोग अपने डॉक्टर की सलाह से ही उपचार लेवें जय जिनेन्द्र निम्नलिखित उपाय पूज्य साधुओं एवं आर्यिकाओं की चर्या के अनुकूल हो तो ही करें। इनको करने से पहले चाहे तो आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह लेवें।
1. अब सबसे महत्वपूर्ण है सजगता*। आपको जैसे ही हल्का बुखार, नाक बहना, गले में खराश, गले में दर्द, खांसी, बदन दर्द, कमजोरी जैसे लक्षण महसूस हो आप तुरन्त इस पोस्ट में आगे लिखे हुए उपाय शुरू कर दें। हर बुखार एवं अन्य लक्षणों को कोरोना से जोड़कर ही देखें उसको सामान्य बुखार समझने की गलती न करें।
2. जैसे ही आपको ऊपर के लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखता है तो आपको एक हफ्ते तक आहार के समय अथवा यथायोग्य चर्या के अनुरूप सुबह शाम दोनों वक़्त यह उपाय करने हैं
– एक ग्लास गर्म पानी में एक पूरा निम्बू निचोड़कर और एक चुटकी नमक* डालकर पीना है। निम्बू का PH लेवल अधिक होने से यह विषाणु को साफ कर देता है।
– फिटकरी का पानी* पानी को हल्का गरम करके उसमें २० – २५ बार फिटकरी घुमा कर यह पानी धीरे धीरे पीना है इससे गले का कफ पेट में उतर जाएगा। फिटकरी के पानी के गरारों से भी गले का कफ बाहर आता है।
दिन में ३ बार *भांप* लेनी है। भांप लेते समय नाक से गहरी सांस ले और मुँह से छोड़े यह तब तक करना है जब तक नाक से द्रव्य बहने न लगे। अनुमान से २० – ३० बार नाक से गहरी सांस लेकर मुँह से सांस छोड़नी है। फिर २० – ३० बार मुँह से भांप को गहरी सांस के साथ अंदर लेना है और नाक से छोड़ना है। भांप लेने वाले पानी में *अमृतधारा* डालते हैं तो अधिक प्रभावशाली रहेगा।
– नाक में संसर्ग रोकने की पद्धति* गर्म निम्बू पानी अथवा गरारे करने से गला तो स्वच्छ हो जाता है लेकिन नाक एवं उसके पीछे के हिस्से तक उसका प्रभाव नहीं होता। भांप का इस हिस्से में प्रभाव अवश्य होता है लेकिन अनेक बार उचित तरीके से भांप नहीं लेने से उसका भी अपेक्षाकृत प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए निम्बू का रस एक कटोरी में लें अब एक dropper अथवा रुई के फोए से उसकी ५ बूंदे प्रत्येक नाक के छिद्र में डाले। यह लेटकर डालना है और दोनों छिद्रों में बूंदे डालने के बाद जब तक रस गले में उतर नहीं जाता तब तक लेटे रहे। यह केवल सुबह एक समय करें। फिर शाम को फिटकरी का पानी इसी पद्धति से नाक के दोनों छिद्रों में डाले। इससे आपके नाक एवं उसके पिछले हिस्से से विषाणु साफ हो जाएगा।
– हल्दी का काढ़ा* दिन में २ बार पानी में हल्दी और सौंठ पाउडर डालकर १ – १ कप काढ़ा पीएं। हल्दी नैसर्गिक कफ नाशक है।
– नीम के पत्तों का काढ़ा* नीम के २५ – ३० पत्ते २ ग्लास पानी में उबाल लें और जब वो उबलकर एक ग्लास शेष रहे तो इस काढ़े को पीएं। कड़वा स्वाद कम करने के लिए यथायोग्य गुड़ डाले।
– *गिलोय* पाउडर अथवा टैबलेट का सेवन करें। इससे प्रतिकार शक्ति बढ़ती है।
– ऑक्सिजन लेवल कम होने पर पेट के बल लेटे एवं दीर्घ श्वास लेना शुरू करें इससे ऑक्सिजन लेवल बढ़ता है।
– कपूर, अजवाइन एवं लौंग की पोटली बनाकर उसे सूंघ सकते हैं उससे भी ऑक्सिजन का स्तर बढ़ता है।
– सभी श्रावक अपने साथ ऑक्सिमिटर रखे जिससे समय समय पर साधुओं एवं अन्य त्यागी व्रतियों का ऑक्सिजन लेवल चेक होता रहे। ऑक्सीजन की लेवल ९४ से नीचे गिरने पर तुरंत वैद्य से सम्पर्क करें।
– ऑक्सिजन के कैन बाजार में मिलते हैं यह भी साथ रख सकते हैं। यदि संघ से अनुमति हो तो यह ऑक्सिजन दी जा सकती है।
– सभी ब्रह्मचारी भैया जी एवं श्रावकों से विशेष अनुरोध है कि वो आहार के समय को छोड़कर सभी साधुओं से १० फीट की दूरी बनाए रखें
– जो भी श्रावक साधुओं के लिए चौका लगा रहे हैं उनकी १ से ३ दिन पूर्व की हुई RTPCR नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य किया जाए। उसके बाद भी उन श्रावकों को क्षेत्र पर एक हफ्ता क्वारंटाइन किया जाए उसके बाद ही चौका लगाकर आहार देने की अनुमति दी जाए
– साधुओं के साथ एक क्षेत्र में रहने वाले ब्रह्मचारी भैया जी एवं श्रावक मास्क अवश्य पहने
– ब्रह्मचारी भैया एवं श्रावक महाराज जी के रोज के उपयोग की वस्तुएं जैसे कमंडल, शास्त्र, पाटा, चटाई, आदि को न छुएं। यदि छू लिया हो तो तुरंत उसको साबुन अथवा फिटकरी आदि के पानी से sanitise कर लें
इस काल में साधुओं के चरण न छूए एवं उनकी वैयावृत्ति भी न करें। बिना आवशयकता के साधुओं के कक्ष में न बैठें।
– आपके निमित्त से यदि किसी साधु को संक्रमण होता है तो उसका पूर्ण दोष आपको लगेगा अतः पूर्ण सावधानी रखें
🌿कृपया इस पोस्ट को प्रत्येक संघ एवं उपसंघों तक पहुचाएं 🛕जिनशासन संघ🛕

खुरई 25-04-2021 श्री महावीर स्वामी जन्म जयंती ऑनलाइन महोत्सव मनाया गया (कोरोना में ऑक्सीजन कैसे मिले मुनिश्री ने बताया)

– श्री 1008 प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर खुरई, जिला सागर (मप्र) में सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के आशीर्वाद से,उनके परम् प्रभावक शिष्य-
1. मुनि श्री विमल सागर जी महाराज
2.  मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज
3. मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज
4.  मुनि श्री अचल सागर जी महाराज
5.  मुनि श्री भाव सागर जी महाराज

के ऊर्जामयी मार्गदर्शन में 25 अप्रैल को प्रातः काल श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर (बड़कुल मंदिर) में अभिषेक शांतिधारा, महावीर भगवान की पूजन की गई इसके बाद श्री आदिनाथ प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर में महावीर भगवान का महमस्तकाभिषेक एवं शांतिधारा सम्पन हुई ऑनलाइन आयोजन । प्रातः काल सभी लोगों ने अपने-अपने घर पर महावीर भगवान की पूजन की , थाली बजाई , घर के बाहर दीपक जलाए एवं रंगोली सजायी, इस अवसर पर ऑनलाइन प्रवचन में संबोधित करते हुए *मुनि श्री भाव सागर जी महाराज* ने कहा कि – महावीर भगवान जन-जन की आस्था के केन्द्र है, आज कोरोना से पूरी दुनिया प्रभावित है, आप डरे नहीं प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर 108 बार गहरी सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करते हुए प्राणायाम करें, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ेगी क्योंकि आज ऑक्सीजन की कमी के कारण बहुत परेशानी हो रही कृत्रिमऑक्सीजन की जगह प्रात: काल की ऑक्सीजन सबसे ज्यादा लाभदायक होती है इसलिए जो शासन प्रशासन की गाइडलाइन है डॉक्टरों की गाइडलाइन है वह तो आप पालन करें और प्रातः काल जल्दी उठे जिससे हमारे फेफड़ों को शुद्ध ऑक्सीजन मिलेगी और धार्मिक अनुष्ठान घर पर ही रहकर करें इस पूरे विश्व को कोरोना से मुक्ति मिले सभी के रोग ठीक हो ऐसी भावना से आप जाप अनुष्ठान करें इस अवसर पर ऑनलाइन संबोधन में मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि महावीर भगवान के सिद्धांत आज भी कारगर हैं, आप उन सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाकर अपना जीवन आदर्शमय बना सकते हैं ।

✍️ मत निकल, मत निकल, मत निकल – हरिवंशराय बच्चन की यह कविता आज के समय में बहुत उपयुक्त है।

शत्रु ये अदृश्य है,
विनाश इसका लक्ष्य है,
कर न भूल,
तू जरा भी ना फिसल,
मत निकल, मत निकल, मत निकल।
हिला रखा है विश्व को,
रुला रखा है विश्व को,
फूंक कर बढ़ा कदम,
जरा संभल,
मत निकल, मत निकल, मत निकल।

उठा जो एक गलत कदम,
कितनों का घुटेगा दम,
तेरी जरा सी भूल से,
देश जाएगा दहल,
मत निकल, मत निकल, मत निकल।
संतुलित व्यवहार कर,
बन्द तू किवाड़ कर,
घर में बैठ,
इतना भी तू ना मचल।
मत निकल, मत निकल, मत निकल।

 नींबू रस / लेमन जूस थेरपी।यह स्वपरिक्षित विधि है
🍋 नींबू की दाे बूंद… 🍋

– पूरी दुनिया को दहला देने वाली कोरोना महामारी पर राम बान इलाज। कोरोना टेस्ट कराने जा रहे हैं? ताे जरा रुकिए। हो सकता है आप भी केवल १ या २ रूपये मे और 3-4 घंटे में ही बिना दवाई के ठीक हो जायेंगे। तत्काल यह छाेटासा घरेलू उपाय करे।

🍋 यदि आप अपने दोनो नथुने में नींबू रस / लेमन जूस की केवल ड्रॉपर या उंगली से दाे दाे बूंद डालते हैं तो वायरस जो नाक, गले और फेफड़ों में पड़ा है, कफ के रूप में मुंह में आ जाएगा, जिसे आपको बाहर थूकना है।
– फिर गुनगुने पानी में नींबू के रस की कुछ बूंदें और थोड़ा सा नमक दाल कूल्ला / गार्गल करके थूक दें तब आपको बड़ी राहत महसूस होगी।
– फिर अपनी उँगली से १ बूंद नारियल के तेल को अपनी नासिका में लगायें। जैसा कि ऊपर वर्णित है।

– प्रसिद्ध नाड़ी वैद्य श्री डीके शर्मा से विचार विमर्श करने के बाद यह लेख आप सब से यहां साझा कर रहे है। वैध जी का मोबाइल नंबर 7980 49 8167 चाहे तो उनसे बात कर सकते हैं । अगर इस लेख से किसी भी व्यक्ति की जान बच सके तो लेख साझा करनेवाले की महनत रंग ले आयें लेखन की खूबी ये हे, कि मरीज़ और उसके परिवार के इलाज़ के साथ-साथ आत्मबल को बढ़ा रहा है। जिसकी महत्ता दवा से अधिक मायने रखती है। कोरोना के इलाज व बचाव को बिना तनाव लिए ध्यान से पढ़ें और समझें कोरोना वायरस वास्तव में एक “कफ” हे पर ये एक सूखा कफ है। हमारे डाक्टर जितनी भी एंटीबायटिक दवाईयां देते हैं वो कफ को सुखाने के लिए देते है लेकिन ये पहले ही सूखा हुआ कफ है तो इस पर कोई असर नहीं होता। इसी वजह से इसका इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका क्योंकि वो अपने दायरे से हटकर नहीं सोच रहे। पर आयुर्वेद में इसका बहुत ही सरल व सीधा निदान है।
– आयुर्वेद में कहा गया है कि कफ की बीमारी को काटना सबसे आसान है। अब मैं इस बीमारी को काटने का सूत्र आपको समझाता हूँ जो कि पूर्णतः वैज्ञानिक है। आयुर्वेद के हिसाब से प्रत्येक खाद्य वस्तु के गुण बताएं गए है। जैसे हर खाद्य पदार्थ अपनी प्रकृति के अनुसार या तो “कफनाशक” (कफ को नष्ट करने वाले) होता है या “कफवर्धक” (कफ को बढाने वाले) होता है। अब जिसको कोरोना है उसको एक बंद कमरे में क्वारंटाईन करके हमें सीधा सा काम ये करना है कि उसको कफवर्धक खाद्य वस्तुओं को देना बंद करना है और ज्यादातर कफनाशक चीजों का सेवन कराना है। जब इस वायरस को अपने बढाने के लिए खाद्य पदार्थ ही नही मिलेगा और जो मिलेगा वह कफ को नष्ट करने वाला है तो मैं गारंटी देता हूं पांच से सात दिन के अंदर यह नष्ट हो जाएगा और मरीज ठीक होने लग जाऐंगें। अब “कफवर्धक” चीजों की लिस्ट देख लीजिए जो कि काफी लंबी हैः-**
1. कोई भी मांस, अंडा।
2. घी, कोई भी तेल, दूध, लस्सी, पनीर, दही।
3. प्याज, आलू, उडद की दाल, चने की दाल, अरवी, शकरकन्दी, फूलगोभी, बंदगोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, लहसुन, मशरुम।
4. संतरा, सेब, केला, ग्लूकोज।
5. बिस्कुट, गेहूं का आटा, ब्रेड।
*नोटः- अंग्रेजी डाक्टर यही मर रहे है क्योंकि वो कफवर्धक चीजों का सेवन मरीज को करा रहैं है। अब आप कफनाशक चीजें भी देख लिजिए।
1. अदरक, हल्दी, तुलसी, काली मिर्च।
2. शिलाजीत, मुलेहठी, आमलकी रसायन, काला बांसा।
3. जौं की रोटी, मूंग दाल, घिया, तोरी, जीरा, सेंधा नमक,
4. मीठा अनार, चीकू, नारियल पानी।

– इसके पांच इलाज में नीचे लिख रहा हूं जिनमें से हरएक इलाज अपने आप में पर्याप्त है इसके निदान के लिएः-

1. कोरोना मरीज को सिर्फ अदरख, हल्दी, तुलसी और काली मिर्च (पाउडर रुप में) का दूध देते रहे। गाय का दूध वो भी देशी हो तो सर्वोत्तम है। उसे कुछ और ना दे। दिन में तीन टाईम ये देते रहें। एक गिलास दूध में मिलाकर गर्म करके। हां वो पानी पी सकता है अगर चाहे तो पर वो भी गर्म होना चाहिए। 5 दिन लगातार इस प्रक्रिया से मरीज पूर्णत स्वस्थ हो जाएगा और कोरोना खत्म हो जाएगा। इसे ऐसे समझें कफ का सोर्स बंद। कफ खत्म।
2. दिन में तीन टाईम दुध के साथ एक एक चम्मच शिलाजीत रोगी को दे। अर्थात तीन गिलास दुध और तीन चम्मच शिलाजीत। उसे कुछ और ना दे। शिलाजीत अत्यंत कफनाशक है। दिन में तीन टाईम ये देते रहें। एक गिलास दूध में मिलाकर गर्म करके। हां वो पानी पी सकता है अगर चाहे तो पर वो भी गर्म होना चाहिए। 5 दिन लगातार इस प्रक्रिया से मरीज पूर्णत स्वस्थ हो जाएगा और कोरोना खत्म हो जाएगा। कफ नाशक चीजें इस कफजनित बीमारी को बहुत जल्द ठीक करेंगी।
3. एक चम्मच मुलेहठी को दूध के साथ दें। दिन में तीन बारे। और हां दूध हमेशा गर्म ही होना चाहिए। उसे कुछ और ना दे। दिन में तीन टाईम ये देते रहें। एक गिलास दूध में मिलाकर गर्म करके। हां वो पानी पी सकता है अगर चाहे तो पर वो भी गर्म होना चाहिए। 5 दिन लगातार इस प्रक्रिया से मरीज पूर्णत स्वस्थ हो जाएगा और कोरोना खत्म हो जाएगा। याद रखें ये सुगर के मरीज को ना दें क्योंकी मुलेहठी मीठी होने शुगर को बहुत ज्यादा बढा देती है।
4. अभ्रक भस्म (शतपुटी) शहद या मलाई या दुध में मिलाकर तीन वक्त दें खाली पेट। अभ्रक भस्म की मात्रा 1 ग्राम के आसपास होनी चाहिए। उसके लेने के दो घंटे बाद मरीज को एक गिलास दूध दें। ऐसा दिन में तीन बार करे। मरीज को और कुछ ना दे।लगातार पांच दिन यही प्रकिया चलनी चाहिए। हां गर्म पानी पी सकता है मरीज।
5. काला बांसा को जलाकर उसकी राख शहद में मिलाकर दें। और दो घंटे बाद गाय का दूध दे एक गिलास गर्म। दिन में तीन बार ऐसा करे। लगातार पांच दिन यही करे। दूध वैसे तो कफवर्धक है परन्तु गाय या बकरी का दूध में कफनाशक चीजें मिलाकर खाने से इसकी प्रवृत्ति बदल जाती है।
– भैंस का दूध ज्यादा कफवर्धक होता है बजाय की गाय या बकरी के दूथ के। इसके अलावा भी कुछ अन्य उपचार नीचे दिया हैः-
1. अन्य कफनाशक चीजों का सेवन करें। हां अनुमानित रुप में सिर्फ गाय का गरम दूध ही लें।
2. जहां मरीज हो उस कमरे का तापमान 45-50 डिग्री तक रखें। उसे लगातार पसीना आएगा और उसका कफ जलना शुरु हो जाएगा। ये कोरोना के विकास के लिए विषम परिस्थिति का निर्माण करता है। भारत देश के लिए खुशखबरी ये है कि आगे भयंकर गर्मी आने वाली है जिससे इस वायरस को फैलने में स्वयं रुकावट हो जाएगी।
3. अगर पेशेंट में इतनी शक्ति है कि वो रनिंग कर सकता है तो वो आधा घंटा सवेरे आधा घंटा शाम को दौड लगाए चाहें कितना ही मंदी क्यों ना दौडा जाए पर लगातार आधा घंटा दौडते रहें। यहा विज्ञान ये है कि जब शरीर में मेहनत होती है तो सबसे पहले कफ जलता है। ऐसा करने से उसका कफ जलेगा। हां खान पान में ये ध्यान रखना है कि कोई भी कफवर्धक चीज ना ले। जौं की रोटी खाए। और घीया तोरी या मूंग की दाल खाए। वो भी कम।
4. अगर पांच दिन तक सिर्फ मरीज को गर्म पानी ही दिया जाए और कुछ भी ना दिया जाए तो उसका कफ स्वयं खत्म हो जाएगा। हां मरीज थोडा कमजोर अवश्य हो सकता है। पर कफ का सोर्स अवश्य बंद हो जाएगा और उसका शरीर खुद इस कफ को खत्म कर देगा। याद रखे आम आदमी 60 दिन तक सिर्फ पानी पानी पर जीवित रह सकता है। भगत सिंह का साथी जतिनदास भूख हडताल के 64 वें दिन मरा था। और वे सिर्फ पानी ही पी रहें थे। इसलिए बैफिक्र रहें।
5. जो आदमी एक घंटा सुबह एक घंटा शाम को मेडिटेशन करता है उसका शरीर स्वयं इस बीमारी को समाप्त कर देता है क्योंकि उसे ईश्वरीय उर्जा प्राप्त होने लगती है। ये सारे प्रयोग आयुर्वेद के अनुसार है। इसलिए कहता हूँ कि आयुर्वेद जीवनशैली को अपना लीजिए मैं इस लेख को अन्य लोगों को फॉरवर्ड या साझा करने का नहीं बोलूँगा।* *पर आपको भी यह लेख उचित लगे और ऐसी जानकारी से अन्य लोग लाभान्वित हो सकें जिससे किसी की जान बचाने में आप भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में भागीदारी रखते हों तो इस का पुण्य लाभ भी आपको कहीं न कहीं अवश्य मिलेगा और मैं समझता हूं किसी अन्य फालतू के जोक्स वाले संदेश से यें जानकारी साझा करना कहीं ज्यादा अच्छी व लाभकारी है।

प्रभु की वाणी के अंश मे सुनिए** ऊर्जामयी प्रवचन – मुनिश्री भावसागर जी महाराज ,प्रसारण दिनाँक* 14,15,16,17 मई 2021 शाम 4 बजे से सिर्फ जिनवाणी चैनल पर*पुण्यार्जक*:

(1) स्वर्गीय श्रीमती निर्मला देवी जैन की स्मृति में,श्री रूपचंद जैन , श्री नरेश कुमार जैन- श्रीमति अंजुला जैन, कु. समृद्धि जैन मास्टर समर्थ जैन,फर्म:- गोपाल एग्रो प्रोडक्‍ट, सी. एम. मसाले, राजनादगांव( छ.ग.)

(2) श्रीमती सुधा जैन श्रीमती रेखा-राहुल जैन, श्रीमति नेहा-रोहित जैन सीए, आरव,मौलि,अनवी जैन, वर्धमान इंफ्रास्ट्रक्चर मंडला (मध्य प्रदेश)

(3)श्री संतोष कुमार जैन ,श्रीमति माया जैन, श्री सुरेश चंद्र जैन ,श्री मति समता जैन,श्री नीरज कुमार जैन, श्री मति खुशी जैन,श्री मति सुशीला जैननीतेश ,तोशी ,युगांश जैनखेरेवाला परिवार *फर्म* डालचंद सुरेशचंद जैन वर्धमान सेल्स तेंदुखे
डा जिला दमोह (म.प्र)

*सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ🎪*01 से 9 अप्रैल2021 तक आयोजित हुए कार्यक्रम की झलकियां*🎪 कार्यक्रम स्थल*- श्री 1008 आदिनाथ प्राचीन दि. जैन मंदिर खुरई जिला सागर (म प्र) 🎊*पुण्यवर्धन आशीर्वाद – परम पूज्य सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 🎉*ऊर्जामयी सानिध्य-* 🌟 मुनि श्री 108 विमलसागर जी महाराज, मुनि श्री 108 अनंतसागर जी महाराज, मुनि श्री 108 धर्म सागर जी महाराज, मुनिश्री 108 अचलसागर जी महाराज मुनि श्री 108 भावसागर जी महाराज🎤 *प्रतिष्ठाचार्य* 🎤 💫 बा.ब्र. नितिन भैयाजी( खुरई/ इंदौर)बा.ब्र. अविनाश भैयाजी ( भोपाल)*आयोजक एवं पुण्यार्जक* सकल दिगंबर जैन समाज /आनन्दधाम ट्रस्ट कमेटी खुरई जिला सागर
(म प्र)

प्रभु की वाणी के अंश सुनिए** ऊर्जामयी प्रवचन – मुनिश्री अनंत सागर जी महाराज ,प्रसारण दिनाँक* 22,23,24,25 मई 2021 शाम 4 बजे से सिर्फ जिनवाणी चैनल पर*पुण्यार्जक*:(1) श्री अजित कुमार श्री मति इंद्रा जैन श्री अमित कुमार श्री मति श्रद्धा जैन,तोषी, हितांशी जैन, —जैन मशीनरी एंड इलेक्ट्रिकल्स खुरई जिला सागर( म.प्र.) (2.)मोदी विनोद कुमार जैन ,श्रीमती चंद्रप्रभा जैन, श्रीमती कल्पना जैन,ब्रम्हचारी अमित भैया, श्री आशीष कुमार ,श्रीमती प्रीति जैन,मोहित जैन,लोरी जैनफर्म:-महावीर घृत भंडार ,मोदी घृत भंडार ललितपुर (उ.प्र.)(3.) श्री बाबूलाल जैन ,श्रीमती निर्मला बाई जैन, मनोज कुमार, श्रीमती नीलम, अजय कुमार ,श्रीमती हेमलता जैन ,प्रवीण कुमार, श्रीमती ज्योति , ललित ,शैलेंद्र, अतुल, अर्पित ,आयुषी, महक, मुस्कान, तनु जैन फर्म अजय कुमार प्रवीण कुमार ग्रेन मर्चेंट बीना जिला सागर (मध्य प्रदेश)

🏳‍🌈ब्रजेश से विमल सागर तक की यात्रा🏳‍🌈

🌈45वां वर्षवर्द्धन दिवस🌈*15 अप्रैल ✍🏻✍🏻शुभांशु जैन शहपुरा _🌞प्राची का सूर्य अपने पूर्ण आगोश में था,बुंदेलखंड की वह रत्नगर्भा वसुंधरा जिसने अनेक महान आत्माओं को जन्म दिया उसमें सागर जिले के छोटे से ग्राम बरोदिया में माता गोमती बाई की कुक्षी से एक बालक ने जन्म लिया नाम रखा ब्रजेश वह तिथि थी 15 अप्रैल 1976 वह ब्रजेश जो मुनिपुंगव सुधासागर जी के गृहस्थ अवस्था के भाई (मौसी के बेटे) थे ,आपका बचपन ललितपुर की गलियों में हँसते-खेलते,अठखेलियाँ करते गुजरा तब कौन जानता था कि यह ब्रजेश एक दिन कर्म मलों को क्षय करने के निमित्त विमलसागर बन जाएगा धर्म की तरफ झुकाव न होने व विपरीत संगति के कारण आपको बचपन में जिनधर्म को जानने का सुअवसर नहीं मिला समय निकलता गया बहती सरिता की भाँति….. ! !🌞पर कहते है डूबके को तिनके का सहारा 1 दिन ललितपुर की गलियों से गुजर रहे थे और वही खिर रही थी मुनिपुंगव की सुधा देशना,अध्यात्म से ओत प्रोत ,अंतरंग को झकझोर देने वाली उस वीणा के झनकार ने खींच लिया अपनी ओर ब्रजेश जी को… ! ! !  और कुछ शब्द जैसे ही कर्ण के द्वार से होते हुए अंतरंग कपाटों पर दस्तक देने पहुँचे तो मन मे संसार के प्रति अनासक्ति के भाव उत्पन्न हुए बिना नहीं रहा फलतः कर दिया उसी समय सप्त व्यसन से दूर रहकर आत्म खोज की यात्रा प्रारंभ _समय बढ़ता गया पर्यूषण पर्व का शुभागमन हो गया था मुनि पुंगव के सान्निध्य में जब प्रथम बार 1993 में ललितपुर में श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन हुआ तो ब्रजेश जी भी चल दिये जीवन का नया अध्याय शुरू करने और वहाँ बरस पड़ी बड़े भाई की महती कृपा दिन रात वात्सल्य की सरिता में सरोबार होने लगे और संसार दिन प्रतिदिन असार दिखने लगा और धीरे-धीरे मुनिपुंगव राजस्थान की ओर गमन कर गए तब अजमेर के शिविर में भी ब्रजेश भैया मुनिपुंगव का सानिध्य लेने हेतु पहुँचे वही पर शिविर की पूर्णता के उपरांत जयपुर के राजमन्दिर सिनेमा घर मे *हम आपके है कौन* फीचर फिल्म देखी व तुरंत समझ में आया संसार का सार व समझा
हम संसार के है कौन तुरन्त सिनेमा का आजीवन त्याग कर दिया गुरु दर्शन की भावना लेकर ब्रजेश जी पहुँच गए उन चरणों मे जहां उनकी मंजिल थी तब वर्तमान के वर्धमान गुरुदेव विद्यासागर जी का मंगल विहार सिद्ध क्षेत्र गिरनार जी की ओर चल रहा था और गुरुदेव ससंघ विघ्नहर पार्श्वनाथ महुआ में विराजमान थे आचार्य भगवन के चरणों मे नमोस्तु निवेदित कर अपने मनोभाव गुरु चरणों में रखे गुरुदेव ने जैसे ही मन के भावों को जाना और सुना कि मुमुक्षु मुनिपुंगव के गृहस्थ अवस्था के मौसेरे भाई है तो आचार्य भगवन ने भी अधिक प्रश्न ना करके व्रत प्रदान कर दिया,कुमार ब्रजेश हो गए ब्र. ब्रजेश अब ब्र. ब्रजेश जी चल पड़े अपने पथ की ओर पाथेय के साथ पथिक बनकर ,एक एक कदम बढ़ा कर मोक्ष की दूरी कम करनी थी तो आचार्य भगवन् ने भी 22 अप्रेल 1999 वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन नेमावर में आपको पंच परमेष्ठी में स्थान दिया और नाम रखा मुनि श्री विमल सागर जी मुनिराज यथा नाम गुण छाप कर्म मलो की धोते जो बिंदु ऐसे विमल सिंधु श्रमणराज विमल सागर जी की परीक्षा का दौर प्रारम्भ हुआ दीक्षा लेते ही कर्मो की ऐसे उद्दीरणा हुई की 80 दिनों में 40 दिन तक अंतराय होता गया पर आप श्री अपने आप को इस परीक्षा के दौर में भी मुश्कान के साथ उत्तरीण करते गए 📚लगभग 10 वर्ष तक पूज्य गुरुदेव के चरणों मे रहकर अध्यत्म की गहराई में डूब कर मूलाचार को जीवन में उतार ,समयसार की चिंतन धारा को सदा प्रवाहित रखा अंतर्मन में.. और विद्या सागर में नित्य अवगाहन करते रहे 📚अब वह विदाई का दिन भी आ गया जब नयनो में अश्रु की धारा चरण प्रक्षाल कर रही थी गुरुदेव ने आपको सर्वयोग्य माना और उप संचालक बना कर प्रभावना हेतु अलग विहार करने का आदेश दिया |
आपने गुरु आशीष से सब जगह अपूर्व जिनधर्म की प्रभावना की हमेशा गुरु आज्ञा को सब कुछ माना आपके द्वारा उच्चारित मंगलाचरण जिसमें गुरुभक्ति मानों स्वर्णिम शिखर को छूती है था मिट्टी का लोंदा गुरुवर ,मुझको सुघट है बना दिया में अनगढ़ पाषाण था ,चिन मूरत दे सज़ा दिया में जो ठेट बांस था,मुझे बांसुरी बना दिया कैसे उनके गुण गाऊँ में, दिया हाथ मे थमा दिया वर्तमान में आचार्य भगवन के बाद आप उपसंघ का नेतृत्व कर रहे है सरलता ,सहजता,सौम्यता की आप प्रतिमूर्ति हो आप अधिकतम समय ध्यान में लीन रहते है और आत्मा का चिंतन चलता रहता है आपकी वाणी ओजस्वी मनस्वी प्रशस्वी यशस्वी है जब आप की वाणी खिरती है तो मानो ऐसा लगता है जैसे वीणा के झनकार बज रहे हो आप उपवास की साधना के माध्यम से तपस्या करते रहते है बेला,तेला,छैला आदि निरन्तर चलते रहते हैछपारा चातुर्मास में आपने लगातार छः उपवास की साधना की थी आप लगातार घंटो घंटो ध्यान में लीन रहकर अपने आत्मतत्व को खोजते रहते है ।लगातार 18 घंटे का खड्गासन में ध्यान भी आप ने किया है आप की काया भले ही मध्यम है परंतु साधना का विस्तार हिमालय से भी ऊंचा है |
📒जब आप एकीभाव ,कल्याण मंदिर ,प्रश्नोत्तर रत्न मालिक,मूकमाटी आदि ग्रन्थों का अध्यापन,कराते है तो जन मानस ज्ञान की गंगा में सरावोर हो जाता है
📒इतनी अस्वस्थता के बाद भी कभी आपको शिथिलाचार का शैवाल छू नही पाया धन्य है आपकी आगमोक्त चर्या*आपके उपसंघ में पूज्यवर मुनि श्री अनंत सागर जी ,पूज्यवर मुनि श्री धर्म सागर जी ,पूज्यवर मुनि श्री अचल सागर जी,पूज्यवर मुनि श्री भाव सागर जी महाराज साथ समूह में रहकर गुरु आज्ञा का पालन कर मोक्ष मार्ग में सहयात्री है आपके उपसंघ की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि साधुओं का परस्पर वात्सल्य अद्वितीय है आप के ससंघ सानिध्य में कई स्थानों पर ऐतिहासिक पंच कल्याणक सम्पन्न हुए बेलखेड़ा देवरी गौरझामर,राजा विल्हेरा,घंसौर,करेली करकबेल,खितौला ,बांदरी, बरोदिया, आदि अनेको उदाहरण है आप के आशीर्वाद से बहुत स्थानों पर नवीन मंदिर निर्माण ओर जीर्णोद्धार कार्य,चल रहा है जिसमे प्रथम श्वेत मार्बल का मंदिर तेंदूखेड़ा,शाहपुरा गोपालगंज सागर मण्डला पिंडरई, खिमलासा ,बीना ,खुरई आदि आपके आशीर्वाद से स्वर्ण दीक्षा दिवस पर कीर्ति स्तंभ का निर्माण कार्य चल रहा है जिसमें , पिंडरई ,केवलारी ,सिवनी छिंदवाड़ा चौराई विशेष उल्लेखनीय है आपके आशीर्वाद से मण्डला में संचालित हथकरघा ने उत्तरोत्तर वृद्धि की है मैं तो वीर प्रभु से यही कामना करता हूं आप सदा स्वस्थ रहे और अतिशीघ्र सिद्धशिला वासी हो फूलों की सुगंध से सुगन्धित हो जीवन आपका ,*तारों की चमक से सम्मिलित हो जीवन आपका,*उम्र आपकी हो सूरज जैसी, याद रखे जिसे हमेशा दुनिया देना चाहता हूंजो कुछ अलग हो कुछ खास हो और हमेशा आपके साथ होपर क्या ….! जो एक भक्तअपने गुरु को दे सके कुछ मिलता ही नहीं कोई कविता नहीं कोई गिफ्ट नहींऔर आप कुछ लेते भी नही सिर्फ देते हो वात्सल्य उपदेश आशीषइसलिए सिर्फ और सिर्फ चरणों में शत शत नमन….!!
– हम सभी यही भावना भाते है कि मुनि श्री ऐसे ही अपनी साधना से अपना मोक्ष मार्ग प्रशस्त करे ज्ञान पुंज सूर्य को प्रणाम करता हूँ संत गुण गंभीर को प्रणाम करता हूं जिनकी तप की चर्चा चारों ओर है ऐसे भविष्य के महावीर को प्रणाम करता हूं
- चारणानुरागी शुभांशु जैन शहपुरा
🚩जीवन परिचय🚩
भावी सिद्धों का मुनि श्री १०८ विमलसागर जी मुनिराज
– जन्म
🚩☀15 अप्रैल 1976
– जन्म नाम
🚩ब्र. ब्रजेश जी
– जन्म स्थान
🚩बरोदिया वर्तमान में- ललितपुर, उ.प्र.
– पिता का नाम
🚩श्री कपूरचन्द जी जैन
– माता का नाम
🚩श्रीमती गोमतीबाई जी
– मातृभाषा
🚩हिन्दी
– शिक्षा
🚩इन्टर(12th)
– ब्रह्मचर्य व्रत
🚩28 अप्रैल 1998,भाग्योदय तीर्थ,सागर में आचार्य श्री विद्यासागर जी से
– मुनि दीक्षा
🚩22 अप्रैल 1999
– मुनि दीक्षा स्थान
🚩सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर जी
– दीक्षा गुरु
🚩ज्ञानभूषण आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज
– उपसंघ
🚩संघ संचालक विशेष-आप वात्सल्यमूर्ति अच्छे प्रवचनकार व स्वाध्यायी साधक है। आप पूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के मौसेरे भाई है ऐसे भावलिंगी संत धरती के देवताभावी सिद्ध के चरणों मे कोटिशः नमन !!

आगामी योजना मैटर सूची

जैनत्व की गौरव गाथा भाग 1, 2

जिन सरस्वती हिन्दी

णमोकार मन्त्र हीलिंग

सूतक संबंधी विशेष मैटर

आचार्य संघ दिनचर्या

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रवचन / स्वाध्याय /
ऑडियो एवं वीडीयो

 

साधुओं की वैयाव्रत्ति कैसे करें

सर्वश्रेष्ठ उद्ववोधन कैसा हो

आहार दान निर्देशिका M.B.A.C.

NENO POOJA

अधूरी कवितायें

सतर्क हो जायें अब नरकों का वर्णन

खिमलासा 25-02-2021
विशाल वेदी पर प्रतिमाये विराजमान हुई

श्री त्रिमूति दिगंबर जैन मंदिर मालथौन रोड़ खिमलासा जिला सागर (म. प्र.) में राष्ट्रहित चिंतक आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के शिष्य पूज्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज,मुनि श्री अनंतसागर जी महाराज,मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज,मुनिश्री अचलसागर जी महाराज,मुनि श्री भाव सागर जी महाराज के सानिध्य में एवं ब्रह्मचारी नितिन भैया खुरई एवं दीपक भैया टेहरका के निर्देशन में 24 एवं 25 फरवरी को वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ , 24फरवरी को प्रातः काल ध्वजारोहण हुआ और अभिषेक , ऊर्जामयी शांति धारा हुई फिर विशेष द्रव्यो द्वारा पूजन हुई मुनि श्री जी के प्रवचन हुए फिर दोपहर में याग मंडल विधान हुआ और कमलासन को रखा गया रात्रि में महा आरती हुई रात्रि में भैया जी के प्रवचन हुए , 25 फरवरी को प्रात: काल अभिषेक एवं ऊर्जामयी शांति धारा हुई फिर बिशाल नवीन वेदी पर श्री शान्तिनाथ जी ,श्री कुन्थुनाथ जी श्री अरहनाथ जी भगवान की विशाल प्रतिमाओ को विराजमान किया गया फिर प्रतिमाओ का महामस्तकाभिषेक शान्ति धारा की गई छत्र चवर अर्पण किए गए फिर पूजन हवन किया गया
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि मंदिर के लिए दान की घोषणा करने के बाद घर में धन नहीं रखना चाहिए मंदिर में बहुत धन लगना हैं आप सभी के सहयोग से यह मंदिर बनेगा मंदिर की वेदी ,शिखर बनबाने में शीलरानी जैन, विजय कुमार श्री मति सुनीता, संजय कुमार श्री मति वंदना जैन विजय फाउंड्री परिवार खुरई ने प्राप्त किया

खिमलासा 10-02-2021 मोती रत्न चढ़ाकर पूजन की गई, 1008 कलशों से हुआ महा अभिषेक, दिव्य कलशों से हुई ऊर्जामयी शांतिधारा

श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर खिमलासा जिला सागर (म. प्र.) में राष्ट्रहित चिंतक आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के शिष्य पूज्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज,मुनि श्री अनंतसागर जी महाराज,मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज,मुनिश्री अचलसागर जी महाराज,मुनि श्री भाव सागर जी महाराज के सानिध्य में एवं ब्रह्मचारी रजनीश भैया रहली के निर्देशन में 10 फरवरी 2021 को श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में श्री आदिनाथ भगवान के निर्वाण कल्याणक के अवसर पर प्रातःकाल की वेला में भक्तामर अर्चना 48 रत्न दीपकों द्वारा हुई, मुनि श्री विमलसागरजी महाराज ने भक्तामर स्तोत्र अपने मुखारविंद से पढा, फिर 1008 कलशों से श्री आदिनाथ जी की विशाल प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक हुआ एवं ऊर्जामयी शांति धारा हुई फिर 1008 विशेष द्रव्यो द्वारा सहस्त्रनाम स्तोत्र पूजन हुई, लोगो ने बड़े ही भक्ति भाव से नृत्य करके निर्वाण लाडू चढ़ाया, 11 फरवरी को प्रातः 6:30 बजे अभिषेक,शांतिधारा, पूजन के पश्चात कल्याण मंदिर विधान होगा एवं मुनि श्री के प्रवचन होंगे यह कार्यक्रम श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में होगा। त्रिमूर्ति दिगंबर जैन मंदिर में 15,16,17 फरवरी को होने वाले वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारियां भी जारी है, कार्यक्रम में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि आज का दिन स्वर्ण अक्षरो में लिखने लायक है, चतुर्थ काल के पहले ही निर्वाण हुआ था, कैलाश पर्वत पर प्रभु ध्यान में लीन हो गए थे और सिद्धालय में जाकर विराजमान हो गए। दिव्य सामग्री से प्रभु का निर्वाण कल्याणक मनाया गया,मोती,रत्न चढ़ायें गए, भगवान की दिव्य प्रतिमाओं का पंच कल्याणक करके वर्तमान में विराजमान करो तो वहीं पुण्य का अर्जन होता है जो चतुर्थ काल में होता था, भरत चक्रवर्ती ने स्वर्णमयी रत्नमयी जिनालय बनबाये थे। हमारा पुण्य नही है कि कैलाश पर्वत पर विराजमान जिनबिम्बों के दर्शन हो जाए, आस्था और संकल्प से आज भी कैलाश पर्वत की प्रतिमाओं के दर्शन हो सकते है, प्रभु की पूजा-अर्चना में कमी नहीं रखना चाहिए,जो जितना लुटाता है उतना पाता हैं, 1008कलशों का विशेष महत्व है, सौधर्म इन्द्र 1008 हाथ बना कर अभिषेक करता है|

बीना 16/11/2020

मोक्ष कल्याणक महोत्सव दीपावली पर्व मनाया गया
राष्ट्रहित चिंतक,सर्वश्रेष्ठ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमलसागर जी, मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी, मुनि श्री अचल सागर जी, मुनि श्री भाव सागर जी, के सानिध्य में 15 नवंबर 2020 को श्री महावीर भगवान का मोक्ष कल्याणक दीपावली पर्व के साथ मनाया गया. प्रातः काल श्री जी का अभिषेक शांतिधारा, पूजन,निर्वाण लाडू अर्पण एवं चातुर्मास निष्ठापन के साथ संपन्न हुआ और मुनि श्री विमल सागर जी महाराज का उद्बोधन हुआ फिर चुनिंदा श्रावको को चातुर्मास कलश प्रदान किए गए लोगों ने दीपक जलाकर दीपावली मनाई

बीना 07/11/2020

नवीन मंदिर का भूमि पूजन हुआ
बीना पब्लिक स्कूल छोटी बजरिया बीना जिला सागर (मप्र) में चल रहे आयोजन जो
परम पूज्य दिगम्बर सरोवर के राजहंस आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य
मुनि श्री विमलसागर जी
मुनि श्री अनंत सागर जी मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज मुनि श्री अचल सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी महाराज के सानिध्य में यह आयोजन चल रहा है ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी संदीप सरल सैलू भैया कटंगी अंकित भैया भिलाई विकास भैया रहली मनोज भैया गोटेगांव सौरभ भैया बीना के निर्देशन में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ
मुनिराजों के प्रवचन के प्रतिदिन प्रातः काल हुए , अभिषेक, शांतिधारा ,पूजन ,मुनि श्री के प्रवचन के पश्चात हवन हुआ इसके पश्चात श्री पारसनाथ दिगंबर जैन पंचायती नवीन मंदिर का भूमि पूजन हुआ दोपहर में श्री जी की शोभायात्रा छोटी बाजार से प्रारंभ होकर बड़ी बजरिया पहुंची

मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में हुए प्रभावक कार्य (विशेष प्रभावना)

– मुनि संघ के सानिध्य में मध्य प्रदेश के बेलखेड़, इटारसी,जबेरा,बांदकपुर,देवरी कला में प्रथम बार फिर झलौन,बिलहरा, घंसौर,गौरझामर में आचार्य श्री ससंघ के साथ एवं सागर में निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी ससंघ के साथ एवं बांदरी,बरोदिया कला,खितौला,करेली,करकबेल,देवरी कला में दूसरी बार पंचकल्याणक संपन्न हुए मुनि संघ के सानिध्य,प्रेरणा,मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश के सिलवानी में मंदिर का शिलान्यास, गोपालगंज में पाषाण के विशाल जिनालय का भूमि पूजन,देवरी में विद्या विहार कॉलोनी में भूमि पूजन,खितौला में मंदिर का भूमि पूजन,तेंदूखेड़ा(पाटन) में विशाल मध्य प्रदेश का प्रथम मार्बल जिनालय का भूमि पूजन हुआ,पाटन में चंद्रप्रभु जिनालय के जीर्णोद्धार के लिए भूमि पूजन हुआ।

– शहपुरा भिटौनी में चंद्रप्रभु पंचायती मंदिर का भूमि पूजन और पिंडरई में पाषाण के जिनालय का भूमि पूजन हुआ छिंदवाड़ा में बड़े मंदिर का भूमि पूजन हुआ,गौरझामर में चंद्रप्रभु जिनालय के मार्बल के मंदिर का निर्माण कार्य जारी है एवं एमपी नगर में एक और पाषाण के मंदिर का भूमि पूजन हुआ करेली में जैसमलेर के विशाल जिनालय की भूमिका बनी।

– मुनि संघ के सानिध्य प्रेरणा, मार्गदर्शन में परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 50वे मुनि दीक्षा दिवस पर दीक्षा के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में इन नगरों में संयम कीर्ति स्तंभ बनाए गए जिसमें प्रमुख नगर है पिंडरई,केवलारी,सिवनी,छिंदवाड़ा,करेली, गौरझामर,तारादेही,तेंदूखेड़ा(पाटन) लखनादौन,मंडला,सिलवानी आदि है।

– मुनि संघ के सानिध्य में सिवनी मध्य प्रदेश में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण महोत्सव पर दिव्य ग्रंथ 120 ग्राम का शास्त्र बनाया गया और उसके साथ रजत शास्त्र,पीतल शास्त्र,ताम्रपत्र ग्रंथ बनवाए गए।

– खुरई जिला सागर मध्य प्रदेश में 700 वर्ष प्राचीन श्री आदिनाथ भगवान की 100 किलो चांदी से निर्मित बेदी की योजना बनाई गई। सकल दिगंबर जैन समाज देवरी के द्वारा 100 किलो चांदी से अधिक चांदी के रथ की योजना बनाई गई गौरझामर में भी रजत रथ की योजना बनाई गई। छपारा जिला सिवनी में भी रथ की योजना बनाई गई,छिंदवाड़ा गौशाला में विशाल मान स्तंभ का निर्माण हुआ। गौरझामर में आचार्य श्री विद्यासागर जी गौशाला का निर्माण हुआ,तेंदूखेड़ा(पाटन) गौशाला ने मुनि संघ के मार्ग दर्शन से मध्यप्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया। मुनि श्री के अनेक स्थानों पर ग्रीष्मकालीन प्रवास हुए और शीतकालीन प्रवास हुए जिनसे पूरे भारतवर्ष के लोगों ने लाभ लिया।

राष्ट्रहित चिंतक आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज की पावन प्रेरणा, आशीर्वाद एवं सक्रिय मार्गदर्शन में उन्हीं के दीक्षित ब्रह्मचारी भाइयों द्वारा संचालित भारत के 7 राज्यों में स्थापित अंबर चरखा, हथकरघा एवं हस्तशिल्प प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्रों की सूची :-

  • मध्य प्रदेश में ……..
  • जिला – सागर
  • सागर जेल – 54 हथकरघा
  • सागर (मकरोनिया) – 14 हथकरघा
  • बीनाजी बारह – 60 हथकरघा + 6 हथकरघा (छात्रों के घर पर) + 3 अंबर चरखा
  • मोहली -22 हथकरघा
  • चाँदपुर – 19 हथकरघा
  • राहतगढ़ – 2 हथकरघा
  • इटावा – 7 हथकरघा
  • जिला – दमोह
  • कुण्डलपुर – 40 हथकरघा + 36 हथकरघा (छात्रों के घर पर)
  • दमोह – 5 हथकरघा
  • परस्वाहा – 36 हथकरघा
  • तेंदूखेड़ा – 6 हथकरघा
  • जिला – जबलपुर
  • लमेटा – 27 अम्बर चरखा
  • पनागर – 2 हथकरघा
  • जिला – नरसिंहपुर
  • करेली – 9 हथकरघा
  • मोहास(करेली) – 1 हथकरघा
  • कल्याणपुर (करेली) – 1 हथकरघा
  • जिला – बालाघाट
  • वारासिवनी – 3 हथकरघा
  • जिला – मंडला
  • मंडला – 27 हथकरघा
  • जिला – डिंडोरी
  • डिंडोरी – 27 हथकरघा
  • जिला – टीकमगढ़
  • पपौरा जी – 7 हथकरघा + 2 हथकरघा (छात्रों के घर पर)
  • जिला – अशोकनगर
  • अशोकनगर – 40 हथकरघा
  • जिला – खरगोन
  • महेश्वर – 8 हथकरघा + 6 हथकरघा (बुनकर के घर पर)
  • छत्तीसगढ़ में……..
  • जिला – बस्तर
  • जगदलपुर -15 हथकरघा
  • जिला – धमतरी
  • कुरूद (रायपुर) – 40 हथकरघा
  • राजस्थान में……..
  • जिला – जयपुर
  • सांगानेर -10 सिलाई मशीन
  • जिला – अजमेर
  • अजमेर – 9 हथकरघा + 2 (सिलाई एंब्रॉयडरी मशीन)
  • जिला – टोंक
  • आवा – 17 हथकरघा + 5 अंबर चरखा
  • उत्तर प्रदेश में……..
  • जिला – आगरा
  • आगरा जेल -18 हथकरघा
  • जिला – वाराणसी
  • बनारस जेल – 9 हथकरघा
  • जिला – मिर्जापुर
  • मिर्ज़ापुर जेल – 6 कालीन हथकरघा
  • ?दिल्ली में……..
  • जिला – नई दिल्ली
  • तिहार जेल – 27 हथकरघा
  • महाराष्ट्र में……..
  • जिला – वाशिम
  • कारंजा लाड -18 हथकरघा
  • जिला – औरंगाबाद
  • एल्लोरा – 13 हथकरघा + 11 सिलाई मशीन + 8 कड़ाई
  • औरंगाबाद- 5 हथकरघा
  • जिला – लातूर
  • मुरुड – 9 हथकरघा + 5 अंबर चरखा
  • निवळी- 7 हथकरघा
  • जिला – बीड
  • गेवराई- 15 हथकरघा + 10 अंबर चरखा
  • जिला – नांदेड
  • कंधार(नांदेड) – 7 हथकरघा
  • जिला – हिंगोली
  • शिरडशहापुर – 27 हथकरघा + 25 हथकरघा (छात्रों के घर पर)
  • जिला – उस्मानाबाद
  • कुंथलगिरी – 11 हथकरघा + 11 हथकरघा (छात्रों के घर पर) + 25 अंबर चरखा + 3 सिलाई मशीन
  • जिला – जालना
  • जालना- 5 हथकरघा + 10 अंबर चरखा
  • दहिघावन- 5 हथकरघा
  • देवघेवरा- 2 हथकरघा
  • जिला – परभणी
  • जिंतूर – 9 हथकरघा
  • सेनगाव – 2 हथकरघा
  • जिला – ठा
  • मुम्ब्रा (ठाणे) – 13 हथकरघा
  • जिला – कोल्हापुर
  • शेडशाळ – 1 हथकरघा
  • हेर्ले – 5 हथकरघा
  • उदगाव- 2 हथकरघा
  • कवटेसार- 1 हथकरघा
  • शिरटी- 1 हथकरघा
  • येद्राव- 1 सिलाई मशीन
  • कुरुंदवाड- 3 सिलाई मशीन
  • नांदनी- 1 सिलाई मशीन
  • रुकडी- 1 सिलाई मशीन
  • जैसिंगपुरे – 2 सिलाई मशीन
  • खोतवाडी- 1 सिलाई मशीन
  • कोरोची- 1 सिलाई मशीन
  • मजले- 1 सिलाई मशीन
  • तुंग – 1 सिलाई मशीन
  • जिला – पुणे
  • पुणे – 2 हथकरघा
  • जिला – सांगली
  • ढवली- 3 हथकरघा
  • सांगली- 1 सिलाई मशीन
  • समदोली- 2 हथकरघा
  • नआंद्रे – 3 सिलाई मशीन
  • बेडग – 1 सिलाई मशीन
  • जिला – नागपुर
  • नागपुर – 7 हथकरघा + 24 अंबर चरखा
  • जिला – अहमदनगर
  • कोपरगाव – 17 हथकरघा + 1 हथकरघा (छात्र के घर पर) + 1 पैठनी साड़ी की मशीन
  • कर्नाटक में……..
  • जिला – बेलगांव
  • जुगुल – 36 कड़ाई मशीन + 8 सिलाई मिशन
  • सदलगा – 26 हथकरघा
  • उगार- 1 सिलाई मशीन
  • बोरगाव- 2 सिलाई मशीन
  • चांदुर- 3 सिलाई मशीन
  • जिला – धारवाड़
  • धारवाड – 1 सिलाई मशीन
  • नोट – लगभग सभी बड़े केंद्रों में एक या दो ताना बनाने की मशीन , कोन पलटी करने की मशीन आदि रहती ही है।
  • बूंद बूंद के मिलने से, जल में गति आ जाए ।
  • सरिता बन सागर मिले सागर बूंद समाए।।?
  • आ० श्री विद्यासागर जी कृत दोहा

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नमनकर्ता

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आप अपनी सहयोग राशि इस माध्यम से भी हमें पहुंचा सकते हो!!

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– Arihant2k18@gmail.com , Adimum2018@gmail.com
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जाप आसन घास कुशन ( 3 इंच मोटा) (मंदिरों में दान ,साधू संतों को भेट ,व्रत उपवास आदि में देने योग्य उचित सामान लेने के लिए शीग्र संपर्क करें ।)
अरिहंत परिवार साधु सेवा केंद्र,अहमदाबाद गुजरात,निमेषभाई द्वारा!!
 

अरिहंत परिवार साधु सेवा केंद्र अहमदाबाद द्वारा संपूर्ण भारत में आहारचर्या सेवा और विहारचर्या सेवा को एवं मंगल प्रवचन और एवं सभी कार्यक्रम कोदेखने के लिए you tube पर जा कर Arihant2k18 लिख कर इस चैनल को अधिक से अधिक SUBSCRIBE करें….।

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मुनि श्री 108 विमल सागर जी महाराज जी के द्वारा
श्री समयसार ग्रंथराज जी पर मंगल उद्धबोधन

13/07/2020 को प्रात: 8:30 से 9:30 तक यूट्यूब पर लाइव देखिए एवं अन्य वीडियो देखिए
जिनधर्म JINDHARMA YOUTUBE चैनल पर
जरूर देखें और subscribe बटन पर क्लिक करें 13/07/2020
https://youtu.be/1mLrFY7foMM

मुनि श्री 108 अनंत सागर जी महाराज जी के द्वारा
प्रतिदिन सुनिए
रत्नकरंडक श्रावकाचार ग्रंथ पर मंगल उद्धबोधन दोपहर 3:30 से 4:30 तक यूट्यूब पर लाइव देखिए एवं अन्य वीडियो देखिए जिनधर्म JINDHARMA YOUTUBE चैनल पर जरूर देखें और subscribe बटन पर क्लिक करें
https://youtu.be/TaBVpBLYH6E
प्रसारण सहयोगी
सोमिल जैन ललितपुर ,संजय जैन , अम्बर सिंघई (अजय म्यूजिक सेंटर बीना),राजीव जैन (बसाहरी) बीना ,अंकित मोदी बीना ,शिवा जैन करेली,तनिष्क जैन मानु,अक्षय जैन (ईलू) बीना।
विशेष निवेदन
यह लिंक पूरे विश्व के दिगंबर जैनों
तक पहुँचाए और विशेष पुण्य कमाये

मुनि श्री 108 विमल सागर जी महाराज जी के द्वारा
श्री समयसार ग्रंथराज जी पर मंगल उद्धबोधन

प्रतिदिन सुनिए
प्रात: 8:30 से 9:30 तक यूट्यूब पर लाइव देखिए एवं अन्य वीडियो देखिए
जिनधर्म JINDHARMA YOUTUBE चैनल पर
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प्रसारण सहयोगी सोमिल जैन ललितपुर ,संजय जैन , अम्बर सिंघई (अजय म्यूजिक सेंटर बीना),राजीव जैन (बसाहरी) बीना ,अंकित मोदी बीना ,शिवा जैन करेली,तनिष्क जैन मानु,अक्षय जैन (ईलू) बीना।
विशेष निवेदन: यह लिंक पूरे विश्व के दिगंबर जैनों तक पहुँचाए और विशेष पुण्य कमाये

मुनि दीक्षा दिवस पर 26 जुलाई 2020 रविवार को प्रसारित हुए जिनवाणी चैनल पर कार्यक्रम देखिए यूट्यूब पर

– विशेष गुरु मंत्र जाप आप देख कर दंग रह जाएंगे: https://youtu.be/cXRIdC_KkgQ

– विशेष निवेदन: यह लिंक पूरे विश्व के दिगंबर जैनों तक सोशल मीडिया के माध्यम से पहुँचाए और विशेष पुण्य कमाये| 

– आयोजक: सकल दिगंबर जैन समाज एवं श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चौबीसी जिनालय मंदिर बड़ी बजरिया बीना जिला सागर(म. प्र.)

जीवन दृष्टि मुनि श्री विमल सागर जी महाराज जीवन दृष्टि

आपका पूर्व नाम रहा है बाल ब्रहमचारी बृजेश जैन
 जन्म स्थान रहा है बरोदिया जिला सागर{ मध्य प्रदेश} ( बाद में निवास ललितपुर उत्तर प्रदेश रहा )
पिता स्व. श्री कपूरचंद जी और माता श्री.. श्रीमती गोमती बाई जी
 की पांचवी संतान के रूप में आपका जन्म मंगलवार 15 अप्रैल 1975 चैत्र बदी 4 विक्रम संवत 2032 को हुआ उन्हें 3 बड़े भाइयों और एक बड़ी बहन तथा छोटी बहन के साथ बचपन किशोरावस्था और युवावस्था तक पहुंचने का प्यार दुलार मिला 
हायर सेकेंडरी ,शास्त्री (प्रथम वर्ष )तक की शिक्षा प्राप्त की आपने भाग्योदय तीर्थ सागर में 28 अप्रैल 1998 वैशाख शुक्ल 6 को 23 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 22 अप्रैल 1999 गुरुवार वैशाख शुक्ल 7 को
 श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मध्य प्रदेश में सीधे मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री विमल सागर जी महाराज बने
मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने अनेक मांगलिक कार्य संपन करवाएं  जिनमें अनेक विधान, अनेक वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है मुनि श्री की प्रेरणा से मंडला ,छपारा, छिंदवाड़ा ,गोटेगांव ,करेली, देवरी, गौरझामर आदि स्थानों पर अभिषेक के दिव्य कलश  और शांति धारा की दिव्य झारी का निर्माण हुआ है और पिंडरई ,केवलारी, सिवनी ,चौरई, छिंदवाड़ा, मंडला, घंसौर ,गौरझामर, धनोरा, सिलवानी, बिलहरा आदि स्थानों पर संयम कीर्ति स्तंभ का निर्माण हुआ

सन 2009 में बेलखेड़ा मध्य प्रदेश, सन 2012 जबेरा मध्य प्रदेश , सन 2012 बांदकपुर मध्य प्रदेश, इटारसी मध्य प्रदेश, सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई ।
सन 2018-2019 में सागर, बांधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा), करेली एवं करकबेल, सन 2020 देवरी में भी पंचकल्याणक हुए 
आपके चतुर्मास 1999 इंदौर, सन 2000 अमरकंटक , सन 2001 जबलपुर ,सन् 2002 नेमावर, सन 2003 अमरकंटक, सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह
यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद 2008 बेगमगंज, 2009 सागर , 2010 बरेली , 2011 रहली , 2012 शाहपुर, 2013 देवरी, 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और 2019 करेली आदि में हुए।
आपके मार्गदर्शन में 50 से भी अधिक स्थानों पर तत्वार्थ सूत्र ,द्रव्य संग्रह, भक्तांमर, रत्नकरंड श्रावकाचार, इष्टोपदेश आदि ग्रंथ ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण हुए हैं।
आपको तत्वार्थ सूत्र ,भक्तामर, सहस्रनाम आदि कंठस्थ है आपको सिद्धांत ,अध्यात्म व्याकरण एवं अनेक विधाओं में महारथ हासिल है आप मुनि श्री सुधासागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के मौसी के लड़के है। आपकी ग्रहस्थ जीवन की चचेरी बहन आर्यिका श्री 105 अनुगम मति माताजी हैं ।
मुनि श्री के उपवास की साधना ऐसी है
कि मुनि श्री पूर्व में 6 उपवास चार उपवास दो उपवास एक आहार एक उपवास लगातार कर चुके हैं ।

मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज जीवन दृष्टि

– आपका पूर्व नाम रहा है बाल ब्रहमचारी मनोज जैनजन्म स्थान रहा है ललितपुर उत्तर प्रदेश । पिता स्व. श्री कपूरचंद जी और माता श्री स्व. श्रीमती धोका बाई हैं। आपका जन्म रविवार 28 मार्च 1971 चैत्र शुक्ल 2 को हुआ उन्हें 2 बड़े भाइयों का एवम् 4 बड़ी बहनों का युवावस्था में पहुंचने तक प्यार दुलार मिला, साथ ही महाराज श्री के गृहस्थ जीवन के भाई मुनि श्री 108 भाव सागर जी है जो कि आचार्य भगवान से ही दीक्षित हैं । हाई स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की, आपने भाग्योदय तीर्थ सागर में 28 अप्रैल 1998 वैशाख शुक्ल 6 को लगभग 27 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 22 अप्रैल 1999 गुरुवार वैशाख शुक्ल 7 को श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मध्य प्रदेश में सीधे मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज बने मुनि श्री ने अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है । सन 2012 जबेरा मध्य प्रदेश , सन 2012 बांदकपुर मध्य प्रदेश, इटारसी मध्य प्रदेश, सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई ।

सन 2018-2019 में सागर, बांधरी , बरोदिया, खितोला ( सिहोरा ) में , करेली, करकबेल , सन 2020 में देवरी में भी आपके सानिध्य में पंच कल्याणक हुए ।
आपके चातुर्मास 1999 इंदौर, सन 2000 अमरकंटक , सन 2001 जबलपुर , सन् 2002 नेमावर, सन 2003 अमरकंटक, सन 2004 जबलपुर ,
सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह, सन 2008 रामटेक, सन 2009 अमरकंटक यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद 2010 बरेली , 2011 रहली , 2012 शाहपुर, 2013 देवरी, 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर 2019 का चातुर्मास करेली में संपन्न हुए ।
आप अध्यात्म ,व्याकरण एवं अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आप अधिकांश मौन रहते हैं और आपकी कलम के द्वारा लेखन होता रहता है ।

मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज जीवन दृष्टि

आपका पूर्व नाम रहा है बाल ब्रहमचारी पंकज जैन जन्म स्थान रहा है (रोंडा) ललितपुर उत्तर प्रदेश । पिता श्री विनोद कुमार जी और माता श्रीमती गोमती बाई हैं । आपका जन्म शुक्रवार 09 जुलाई 1976 आषाढ़ शुक्ल 13 को हुआ उन्हें 1 बड़े भाई का एवम् 2 बड़ी बहनों का युवावस्था में पहुंचने तक प्यार दुलार मिला, बी. एस. सी (बायो), एम. ए (प्री), मैकेनिकल डिप्लोमा (रेडियो/टीवी) की शिक्षा प्राप्त की, आपने नेमावर सिद्ध क्षेत्र में 16 सितंबर 1997 को लगभग 21 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 22 अप्रैल 1999 गुरुवार वैशाख शुक्ल 7 को श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मध्य प्रदेश में सीधे मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज बने
मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज ने अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है । 

सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बाँधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा), करेली, करकबेल एवं सन 2020 में देवरी में भी पंचकल्याणक हुए । आपके चातुर्मास 1999 इंदौर, सन 2000 अमरकंटक , सन 2001 जबलपुर , सन् 2002 नेमावर, सन 2003 अमरकंटक, सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह सन 2008 रामटेक, सन 2009 अमरकंटक 2010 बीना बारह , 2011 चंद्रगिरी , 2012 चंद्रगिरी 2013 रामटेक यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और 2019 का चातुर्मास करेली मैं हुआ आप अध्यात्म व्याकरण एवं अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आप अधिकांश मौन रहते हैं और आपकी कलम के द्वारा कविताओं आदि का लेखन होता रहता है ।

मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज जीवन दृष्टि

दीपावली के शुभ पर्व के दिन शनिवार 23 अक्टूबर 1976 कार्तिक कृष्ण 30 को सागर मध्य प्रदेश मे  श्री ज्ञान चंद जी जैन और श्रीमती अंगूरी देवी जैन के घर एक दीपक के रूप में प्रदीप का जन्म हुआ बड़ी बहन अल्पना और छोटी बहन बाल ब्रह्मचारिणी जूली जी(वर्तमान में आर्यिका श्री  श्रुतमति माता जी)  जो आर्यिका गुरु मति माताजी के संघ में है तथा छोटा भाई आलोक ग्रहस्थ जीवन मैं है। आपने बीकॉम तक की लौकिक पढ़ाई की है श्री प्रदीप जैन ने शनिवार 3 मार्च 2001 को सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में ब्रम्हचर्य व्रत धारण किया उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शनिवार 21 अगस्त 2004 को द्वितीय श्रावण शुक्ल छठ को दीक्षा धारण की  यह दिन  भगवान नेमिनाथ का जन्म तप कल्याणक भी है  स्थान था दयोदय तीर्थ गौशाला तिलवारा घाट जबलपुर आप का नामकरण मुनि श्री अचल सागर जी महाराज हुआ। प्रवचन के माध्यम से लोगों को उद्बोधन देते हैं शाकाहार के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है। अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है ।

सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बाँधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा), करेली, करकबेल एवं सन 2020 में देवरी में भी पंचकल्याणक हुए । आपके चातुर्मास सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह सन 2008 रामटेक, सन 2009 अमरकंटक 2010 बीना बारह , 2011 चंद्रगिरी , 2012 चंद्रगिरी, यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद 2013 देवरी, 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और 2019 करेली में हुआ। आप अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आपके मार्गदर्शन व प्रेरणा से अनेक मंदिर, गौ-शालाओं का निर्माण हुआ है ।

मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का जीवन दर्शन

ग्रहस्थ जीवन के दो सगे भाइयों ने एक ही आचार्य श्री से दीक्षित होने के बाद मुनि श्री के पद ग्रहण करने वाले और उदाहरण में मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का असाधारण रूप हमारे समक्ष विद्यमान है उनके अग्रज आज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज हैं प्रसंगवश स्वयं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की ग्रहस्थ जीवन के उनके भी दो सगे भाई हैं मुनि श्री समय सागर जी और मुनि श्री योग सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने ललितपुर उत्तर प्रदेश मैं निवासी स्वर्गीय श्री कपूर चंद जैन मोदी और स्व.श्रीमती धोखा बाई जैन मोदी कि 8वी और सबसे छोटी संतान के रूप में बुधवार 28 जुलाई 1976 श्रावण शुक्ल 2 भगवान सुमतिनाथ के गर्भ कल्याणक के दिन  जन्म लिया उन्हें अपने बड़े भाइयों विनोद स्व. कल्याण चंद्र और मनोज जी( जो वर्तमान में मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज हैं) और बड़ी बहनों राजकुमारी सुमन कुसुम और चंदा का प्यार दुलार मिला और उनका बचपन किशोरावस्था और युवक के रूप में निरंतर प्रतिभा संपन्न होता गया BA तक की पढ़ाई की और रेडियो टीवी कोर्स के बाद आपने TV सीरियल में भी कार्य किया है अग्रज भाई मनोज के( मुनि श्री अनंत  सागर महाराज) के रूप में दीक्षा ले लेना और संसार के उतार चढ़ाव को देखकर आपके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया और 23 अगस्त 2001 को उन्होंने दयोदय तीर्थ गौशाला तिलवारा घाट जबलपुर में ब्रम्हचर्य व्रत धारण कर लिया ब्रह्मचारी मनीष जी बनने के बाद उनकी सीधी मुनि दीक्षा हो गई  संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और उन्होंने नव दीक्षित शिष्य को मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का नाम देकर अलंकृत किया।

इनके द्वारा छोटे बड़े 22 पंचकल्याणक हुए और साधु जीवन दर्शन नामक एक पुस्तक आपके मार्गदर्शन मैं तैयार हुई ताम्रपत्र पर ग्रंथ उत्कीर्ण हुए स्वर्ण और रजत संबंधी अनेकों कार्य आपके माध्यम से हुए मुनि श्री सभी प्रकार के कार्यों में निपुण है और महाराज श्री से सभी श्रावक मार्गदर्शित होकर अपना कार्य कर रहे हैं। अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है ।

सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बाँधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा),करेली,करकवेल एवं सन2020 में देवरी में भी पंचकल्याणक हुए । आपके चातुर्मास सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह सन 2008 रामटेक, सन 2009 बंडा,( आचार्य श्री की आज्ञा से पृथक चातुर्मास ) 2010 बीना बारह , 2011 चंद्रगिरी , 2012 चंद्रगिरी 2013 रामटेक यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और 2019 का करेली मैं हुआ आप अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आपकी कलम के द्वारा भजन, कविताओं , आरती आदि एवम् श्रावकों के विशेष विषयों पर लेखन होता रहता है ।

विवरण (1) 12/05/2020

मुनि श्री 108 विमल सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य / प्रेरणा /मार्गदर्शन से हुए पंचकल्याणक महोत्सव सन् 2009 से 2020 तक
(1) 6 से 12 फरवरी 2010 , बेलखेड़ा जिला जबलपुर (मध्य प्रदेश)
सान्निध्य
मुनि श्री 108 विमल सागर जी, मुनि श्री 108 सुव्रत सागर जी, मुनि श्री 108 आगम सागर जी , मुनि श्री 108 विशद सागर जी, मुनि श्री 108 अतुल सागर जी
(2) 10 से 16 दिसंबर 2010 , इटारसी (मध्य प्रदेश)
सान्निध्य
मुनि श्री 108 अजित सागर जी ससंघ, मुनि श्री108 विमल सागर जी, मुनि श्री 108 अनंत सागर जी मुनि श्री 108 विशद सागर जी, ऐलक श्री 105 विवेकानंद सागर जी
(3) 29 नवंबर से 5 दिसंबर, 2011 जबेरा जिला दमोह (मध्य प्रदेश)
सान्निध्य
मुनि श्री 108 विमल सागर जी, मुनि श्री 108 अनंत सागर जी , मुनि श्री 108 विशद सागर जी
आर्यिका 105 तपोमति माताजी ससंघ,
आर्यिका 105 उपशांतमति माताजी ससंघ
(4) 03 से 08 फरवरी 2012, बांदकपुर जिला दमोह(मध्य प्रदेश)
सान्निध्य
मुनि श्री 108विमल सागर जी, मुनि श्री 108 अनंत सागर जी , मुनि श्री 108 विशद सागर जी,
आर्यिका 105 उपशांतमति माताजी ससंघ,
आर्यिका 105अपूर्वमति माताजी ससंघ
(5) 16 से 23 जनवरी 2014 , देवरी कलां जिला सागर (मध्य प्रदेश)
सान्निध्य
मुनि श्री 108 विमल सागर जी, मुनि श्री 108 अनंत सागर जी मुनि श्री 108 धर्म सागर जी, मुनि श्री 108 अचल सागर जी, मुनि श्री 108 भाव सागर जी,
(6) 31 जनवरी से 6 फरवरी 2014 ,झलौन जिला दमोह( मध्य प्रदेश)
सान्निध्य
मुनि श्री108 पवित्र सागर जी, मुनि श्री 108प्रयोग सागर जी (ससंघ) ,
मुनि श्री108 विमल सागर जी, मुनि श्री 108अनंतसागर जी , मुनि श्री 108 धर्मसागर जी, मुनि श्री 108 अचल सागर जी, एवं मुनि श्री 108 भावसागर जी,
(7) 16 से 21 फरवरी 2014, बिलहरा जिला सागर (मध्य प्रदेश) सान्निध्य
मुनिश्री 108विमल सागर जी, मुनि श्री 108 अनंत सागर जी, मुनि श्री 108 धर्म सागर जी मुनि श्री 108 अचल सागर जी एवं मुनि श्री 108भाव सागर जी
(8) 15 से 21 फरवरी 2015, घंसौर जिला सिवनी (मध्य प्रदेश) सान्निध्य मुनि श्री 108अजित सागर जी ससंघ, मुनि श्री108 विमल सागर जी, श्री 108 अनंत सागर जी, मुनि श्री 108 धर्म सागर जी मुनि श्री 108 अचल सागर जी, मुनि श्री 108अतुल सागर जी एवं मुनि श्री 108 भाव सागर जी,
आर्यिका 105 आदर्श मति माताजी ससंघ, आर्यिका105 अपूर्व मति माताजी ससंघ
ऐलक श्री 105विवेकानंद सागर जी
(9) 6 से 12 मार्च 2015, गौरझामर जिला सागर (मध्य प्रदेश)
परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ ( 38 मुनि)
(10) 8 से 14 दिसंबर 2018, भाग्योदय तीर्थ सागर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य
मुनि श्री 108 योग सागर जी ससंघ, मुनि श्री 108 पवित्र सागर जी ससंघ मुनि श्री 108 निर्णय सागर जी ससंघ , मुनि श्री 108 अभय सागर जी ससंघ ,मुनि श्री 108 प्रयोग सागर जी,मुनि श्री 108 प्रभात सागर जी,मुनि श्री 108 संभव सागर जी, मुनि श्री 108पद्म सागर जी, मुनि श्री 108पूज्य सागर जी, मुनि श्री 108विमल सागर जी, मुनि श्री 108अनंत सागर जी, मुनि श्री 108धर्म सागर जी, मुनि श्री 108शैल सागर जी, मुनि श्री 108अचल सागर जी, मुनि श्री 108अतुल सागर जी, मुनि श्री 108भाव सागर जी, मुनि श्री 108निरीह सागर जी, मुनि श्री 108निस्सीम सागर जी एवं मुनि श्री 108शाश्वत सागर जी
आर्यिका 105ऋजुमति माताजी ससंघ,
आर्यिका105 गुणमति माताजी ससंघ,
आर्यिका 105अनंतमति माताजी ससंघ, आर्यिका 105अकंपमति माताजी ससंघ आर्यिका105 उपशांतमति माताजी ससंघ
(11) 20 से 26 जनवरी 2019, बांदरी जिला सागर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य
मुनि श्री108 विमल सागर जी ,मुनि श्री108 अनंत सागर जी ,मुनि श्री 108धर्म सागर जी, मुनि श्री 108अचल सागर जी एवं मुनि श्री 108 भाव सागर जी,
आर्यिका 105अनंत मति माताजी ससंघ
(12) 30 जनवरी से 04 फरवरी 2019 ,बरौदिया कलां जिला सागर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य
मुनि श्री108 विमल सागर जी ,मुनि श्री108 अनंत सागर जी ,मुनि श्री 108धर्म सागर जी, मुनि श्री 108 अचल सागर जी एवं मुनि श्री 108 भाव सागर जी
(13) 12 से 18 मार्च 2019, खितौला जिला जबलपुर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य
मुनि श्री 108विमल सागर जी,मुनि श्री 108 अनंत सागर जी,मुनि श्री 108 धर्म सागर जी, अचल सागर जी एवं मुनि श्री 108भाव सागर जी
(14) 4 से 10 नवंबर 2019, करेली जिला नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य
मुनि श्री 108विमल सागर जी,मुनि श्री 108अनंत सागर जी , मुनि श्री 108धर्म सागर जी, मुनि श्री 108अचल सागर जी एवं मुनि श्री 108भाव सागर जी
(15) 13 से 19 नवंबर 2019, करकबेल जिला नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य
मुनि श्री 108विमल सागर जी, मुनि श्री 108अनंत सागर जी, मुनि श्री 108धर्म सागर जी, मुनि श्री 108अचल सागर जी एवं मुनि श्री 108भाव सागर जी
आर्यिका 105 श्री मृदुमति माताजी ससंघ,
आर्यिका श्री 105निर्णयमति माताजी ससंघ,
(16) 14 फरवरी से 20 फरवरी 2020, देवरी कलां जिला सागर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य मुनि श्री108 प्रशांत सागर जी ससंघ, मुनि श्री108 निर्वेग सागर जी,
मुनि श्री108 विमल सागर जी ,मुनि श्री 108अनंत सागर जी ,मुनि श्री 108धर्म सागर जी, मुनि श्री 108अचल सागर जी, मुनि श्री 108भाव सागर जी एवं क्षुल्लक 105 देवानंद सागर जी।

लघु पंचकल्याणक

(1) …………..2013, गंज मंदिर देवरी कलां जिला सागर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य
मुनि श्री108 विमल सागर जी,मुनि श्री 108अनंत सागर जी ,मुनि श्री 108अचल सागर जी
(2) ……….2014 , श्री दिगंबर जैन शांतिनाथ अतिशय क्षेत्र पनागर जिला जबलपुर (मध्य प्रदेश)सान्निध्य मुनि श्री108 विमल सागर जी, मुनि श्री 108अनंत सागर जी, मुनि श्री 108धर्म सागर जी ,मुनि श्री 108अचल सागर जी, मुनि श्री 108 अतुल सागर जी एवं मुनि श्री 108भाव सागर जी मुनि श्री 108 विशद सागर जी, ऐलक श्री 105 विवेकानंद सागर जी

😓😓😓😓😓जैन समाज से एक मार्मिक अपील,,,,

– विचार करना और वास्तव में विचार करना क्या ये सही है क्या हम खुद अपनी समाज अपने धर्म के भविष्य को खुद ही नही मिटा नही रहे?
– जिनालय में भगवान के पूजन अभिषेक को धोती दुप्पटा में मौजूद युवाओं और पुरुषों की संख्या बता देती है उस स्थान की समाज का धार्मिक भविष्य और धर्म के प्रति समर्पण नगर में तीन जिनालय है और नगर में लगभग 200 घरों में 400 पुरुष तो है जो भगवान की कृपा से पूजन अभिषेक करने योग्य है।
– आप खुद बताइए कितने लोग अभिषेक करने जा रहे हैं अगर हमारे कुछ बुजुर्गों के अलावा कितने युवा है जो भगवान के अभिषेक और पूजन में हिस्सा ले रहे है
– एक समय के बाद जब हमारे बुजुर्ग चले जायंगे तब क्या मंदिर वीरान हो जायंगे,,क्योंकि युवाओं को आदत ही नही हुई अभी अभिषेक करने की बंधुओं इसमें दोषी केवल युवा नहीं है इसमें दोषी माता पिता भी है
– आपने अपने पुत्र से बोला दुकान खोलो और पैसा कमाओ और पुत्र ने व्यापार शुरू कर दिया और पैसा छापने लगा आपने कहा विवाह करो और पुत्र ने कर लिया,, आपने कहा परिवार बढ़ाओ उसने बढ़ा दिया मगर आपने कभी इस बात पर जोर डाला कि जाओ पहले अभिषेक करो फिर दुकान खोलो ,,आपने क्या कभी उसे बताया कि हमारे जैन कुल की ये परम्परा है कि जैन पुरूष भगवान का अभिषेक और पूजा करके ही पुरूष कहलाने योग्य आगम में बताया है उसने दुकान खोल ली और पैसा कमाने लगा तो आप चुप हो गए कि चलो अब सब ठीक है उसने काम सम्भाल लिया तो क्या हो गया आपका पिता होने का कर्तव्य पूरा तो हो गया आपका अब समस्त टेंशन पूरा खत्म,,, मतलब आपने जिनालय और धर्म के प्रति आपके और आपके पुत्र के कर्तव्य को कर्तव्य समझा ही नही हो सकता है आपने कभी कहा होगा कि जाओ अभिषेक करो,,,और उसने टाल दिया फिर क्या किया आपने चुप रहे न आप अब।
और माता पिता भी वही अपने पुत्रों को कहेंगे अभिषेक को जो खुद पूजा अभिषेक करते होंगे जो खुद नही करते वो कदापि अपने बच्चों को इसके लिए प्रेरित नही कर सकते क्योंकि उनके पास जवाब ही नही। अगर आपने करोड़ो की जायदाद भी दे दी अपने उसे करोड़ो का व्यापार भी करवा दिया,,,आपने उसको जोड़ जोड़ के सब दे भी दिया मगर आपने अगर उसे धर्म के संस्कार नही दिए उसे भगवान की पूजा अभिषेक से नही जोड़ा तो यकीन मानिए आपने उसे सब फिजूल चीजें दे दी है जिनका धर्म के बिना पुण्य के बिना कोई अस्तित्व ही नही है । मेरे बंधुओं ज्यादा ज्ञानी तो नही और ज्यादा धर्मी भी नही में आप सभी बुद्धिजीवी है समझदार है ,,मगर मैं इतना तो जान गया हूँ इतना तो अपने गुरु जी से सीख है कि अगर जीवन में आपका समर्पण देव शास्त्र गुरु के प्रति नही है तो यकीन मानो न धर्म ज्यादा दिन इस दुनिया में टिकेगा न हम सभी का वजूद ज्यादा दिन रहेगा,,,,हम खुद को बचाना होगा अपने धर्म को बचाना होगा

वाकी का लेख क्रमशः कल
✍🏻आशीष श्री जी(अगर उचित लगे तो कॉमेंट लिखना )

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बँधाजी
19सितंबर 2021
उपवास के साधक
श्री 1008 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र,बँधाजी, जिला-टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) में विराजमान
सर्वश्रेष्ठ साधक
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज* के आज्ञानुवर्ती शिष्य
मुनि श्री 108 विमलसागर जी महाराज का आज का उपवास है।
हम सभी भावना भाये की अनुकूलता बनी रहे । दिगम्बर जैन साधु की चर्या अद्भुत होती है धन्य है ऐसे उपवास के साधक इनके चरणों में अनंत बार नमन …🙏 गुरूचरणानुरागी
शुभम जैन, राज जैन मोहनगढ
राजपाल : 7393002091, 7898843988, आशुतोष : 9179909268.